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राज्य में 39 प्रतिशत लोगों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं:बिलासपुर के 17 लाख में से सिर्फ 9 लाख का नाम जुड़ा, इलाज में आनाकानी कर रहे निजी अस्पताल

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शासन की ओर से निजी और सरकारी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड के जरिए बीपीएल राशन कार्ड धारी को पांच लाख और एपीएल कार्डधारी को 50 हजार की सुविधा प्रदान करा रहा है, लेकिन राज्य में अभी भी 39 प्रतिशत लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। बिलासपुर में 17 लाख सदस्यों में सिर्फ साढ़े नौ लाख परिवारों का नाम जुड़ें हैं। यही कारण है कि लोग इस अहम सुविधा से वंचित हो रहे हैं। राज्य नोडल एजेंसी की भेजी जानकारी के अनुसार खासतौर पर बच्चे और बुजुर्गों के आधार कार्ड अब तक अपडेट नहीं हुए हैं, इसलिए उनके नाम इस योजना में नहीं जुड़ें हैं।

नोडल एजेंसी के अधिकारियों ने चिप्स को इसकी सूचना देकर तत्काल इसे सुधरवाने की बात कही है। दैनिक भास्कर ने जब मामले की पड़ताल शुरू की तो पाया कि निजी अस्पतालों में आयुष्मान के नाम पर खूब मनमानी चल रही। किसी भी मरीज को पहले अस्पताल प्रबंधन यह कहकर भर्ती करा लेता है कि उन्हें अस्पताल में इसकी सुविधा मिलेगी। फिर डिस्चार्ज करने के वक्त उनसे पैसे मांगे जा रहे हैं। बड़ी बात यह है कि शहर के 164 अस्पताल और नर्सिंग होम में अभी भी इसे लेकर कोई स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किया गया, यही वजह है कि यहां जांच इलाज कराने आए मरीजों को समस्याएं झेली पड़ रही।

कभी किसी का आधार अपडेट नहीं है कि कहकर उन्हें लौटाया जा रहा तो कभी कोई और बहाना बनाकर इस अहम सुविधा से वंचित किया जा रहा। इसकी वजह से ही रोजाना मरीज और अस्पताल प्रबंधन के बीच विवाद जैसी स्थिति निर्मित हो रही है। कुछ दिन पहले सीएमएचओ डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने सारे निजी अस्पतालों को बोर्ड पर आयुष्मान योजना की जानकारी स्पष्ट तौर पर अंकित करने के निर्देश दिए हैं। इसका पालन हो भी रहा है या नहीं, इसकी कोई मॉनिटरिंग नहीं की जा रही है।

भास्‍कर Analysis : 5 लाख परिवारों के 17 लाख सदस्यों के बनने हैं कार्ड, योजनाओं का नहीं मिलेगा लाभ

बुजुर्ग को कराना था डायलिसिस अस्पताल ने कहा- नहीं होगा
शहर में राजस्व कॉलोनी के पास एक निजी अस्पताल में एक बुजुर्ग महिला को यह कहकर लौटा दिया कि आज रविवार है इसलिए आयुष्मान के तहत इलाज नहीं होगा। वह दिनभर इलाज पाने भटकती रहीं। उन्हें कैंसर है और उनका डायलसिस कराना जरूरी था, फिर भी प्रबंधन ने उनके साथ ऐसा व्यवहार किया। जिसके बाद महिला ने दूसरे अस्पताल में पैसे खर्च अपना डायलसिस करवाया।

कार्ड होने के बाद भी इलाज के लिए भटकने की मजबूरी
इमलीपारा में एक नामी अस्पताल में चांटीडीह का युवक दांतों का इलाज कराने आया। उसके पास आयुष्मान कार्ड था, फिर भी अस्पताल ने यह कहकर उसे बैरंग लौटा दिया कि उसका इस कार्ड से इलाज नहीं होगा। युवक सिम्स पहुंचा और यहां उसका इलाज हुआ। इस तरह निजी अस्पतालों की मनमानी से मरीज रोज भटकाव का सामना कर रहे हैं।

बिलासपुर में आयुष्मान सहित अन्य सरकारी सुविधाओं के तहत पांच लाख परिवारों का आयुष्मान कार्ड बनना है। इसमें 4 लाख 82 हजार लोगों का कार्ड बनना बताया जा रहा है। जबकि सदस्यों में 17 लाख में से अभी आधे लोगों का भी काम नहीं हो पाया है। यही कारण है कि बिलासपुर के लोगों को इस योजना के तहत विभिन्न अस्पतालों में पहुंचकर परेशानी उठानी पड़ रही है।

कार्ड बनना जारी, जहां लापरवाही वहां नोटिस दे रहे
जिले में आयुष्मान कार्ड बनने का काम चल रहा है। जो अस्पताल इस कार्ड से इलाज करने में आनाकानी कर रहे उन्हें नोटिस भेजा जा रहा। अस्पतालों को बोर्ड पर इसकी जानकारी स्पष्ट रूप से लिखने की बात कही गई है। पालन हो रहा या नहीं जल्द जानकारी लेंगे। -डॉ. अनिल श्रीवास्तव, सीएमएचओ