Home History स्वप्रबंधन:वक़्त बदलने के लिए आदतें बदलना भी ज़रूरी है…जानिए कैसे

स्वप्रबंधन:वक़्त बदलने के लिए आदतें बदलना भी ज़रूरी है…जानिए कैसे

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  • दिनचर्या में शामिल कुछ आदतें हमारी जीवनशैली को बेहतर बनाती हैं, तो कुछ का प्रभाव विपरीत भी पड़ता है और हमें अहसास तक नहीं होता। इसलिए….वक़्त बदलने के लिए बदलें आदतें
हम कई बार ख़ुद को ऐसे कामों में व्यस्त कर लेते हैं जिसकी वजह से हमारा समय बर्बाद होता है। अगर हमें पता चल जाए कि हमारी दिनचर्या और व्यवहार में ऐसी कौन सी बातें या आदतें हैं, जिनमें बदलाव करके हम अपने क़ीमती व़क्त को ख़राब होने से बचा सकते हैं। जानिए, उन आदतों को जिनमें बदलाव करना ज़रूरी है।
प्राथमिकताएं तय न करना
प्राथमिकताएं तय नहीं करने से हमको पता नहीं होता है कि किस तरफ़ जाना है, ऐसे में हम किसी भी तरफ़ बढ़ने लगते हैं, कोई भी काम करने लगते हैं। ज़ाहिर है, फिर ज़रूरी काम को समय सीमा पर पूरा नहीं कर पाते हैं।
सुबह का आरम्भ तय न होना
सुबह की दिनचर्या निश्चित नहीं हो तो ध्यान केंद्रित करने में दिक़्क़त होती है, साथ ही दिन की शुरुआत अव्यवस्थित ढंग से होती है।
बस पांच मिनट और सोना
जागने के बजाय बस पांच मिनट और सोने के लालच में मोबाइल या घड़ी का स्नूज बटन दबाना उचित नहीं है। समय पर सोना और उठना चाहिए।
सामान सही जगह पर न रखना
अव्यवस्थित जगह में रहने से सामान को खोजने में मिनटों और कई बार घंटों भी बर्बाद होते हैं। इसके साथ ही ध्यान केंद्रित करने में भी दिक़्क़त होती है।
बार-बार फोन चेक करना
ईमेल बॉक्स बार-बार चेक से आपका असली काम से ध्यान भटकता है, साथ ही सोशल मीडिया को बार-बार चेक करने से स्क्रीन की भी लत लग सकती है। इसमें भी समय काफ़ी ख़राब होता है।
एक साथ कई काम करना
हम सोचते हैं कि एक साथ कई काम पूरे करने से काम जल्दी पूरा हो जाएगा। जबकि ऐसा करने से ध्यान भटकता है, इसलिए एक समय में एक काम ही पूरा करना चाहिए।
ना नहीं कह पाना
अगर आप सिर्फ़ लोगों की ख़ुशी के लिए उन्हें ना नहीं कह पाते हैं, तो कभी भी ना न कहने की इस आदत से आपको मुश्किल हो सकती है। कई बार आपको ऐसे काम भी करने पड़ सकते हैं, जिन्हें करने का आपका मन नहीं है या जो आपके मूल्यों के हिसाब से उचित नहीं हैं।
मदद लेने में संकोच करना
कई बार इसलिए हम परेशान होते हैं, क्योंकि हम लोगों की मदद लेने में संकोच करते हैं। लोगों की सलाह और सहयोग नहीं लेने के कारण भी क़ामयाबी नहीं मिल पाती है और समय भी ख़राब होता है।
अधिक विचार करना
किसी भी समस्या के बारे में बहुत ज़्यादा सोचने से समस्या का हल नहीं निकलता है, बल्कि ऐसा करने से सिर्फ़ हमारा तनाव बढ़ता है और स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है।
विफलता से डरना
कुछ लोगों को जीवन में नाक़ामयाबी सिर्फ़ इसलिए मिलती है, क्योंकि वे विफल होने से डरते हैं। इस डर के कारण वे जीवन में कुछ भी हासिल नहीं कर पाते हैं। क़ामयाबी हासिल करने के लिए व्यक्ति को बार-बार नपा-तुला जोख़िम उठाना पड़ सकता है। जीवन में विफलता मिलना इस सफ़र का हिस्सा है।