शोध के दौरान यदि नाबालिग बच्चों या अवयस्क विद्यार्थियों से संबंधित कोई भी आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं तो आंकड़े लेने के पहले शोधार्थियों को उस विद्यार्थी, उनके पालक, संस्था के प्राचार्य और शिक्षा अधिकारियों से लिखित अनुमति लेनी होगी। शोध ग्रंथ के प्रकाशन और उसके प्रजेंटेशन में इन दस्तावेजों को प्रस्तुत भी करना होगा, ताकि बाद में किसी तरह की कानूनी अड़चनों का सामना न करना पड़े। पहले इसकी जरूरत नहीं होती थी।
अनपढ़ के अंगूठे का निशान शिक्षितों के बीच लेना होगा
हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की एथिकल कमेटी की बैठक में शोधार्थियों को शोध संबंधी नए नियमों की जानकारी दी गई। इसके अनुसार शोधार्थी यदि किसी जनजातीय या अशिक्षित वर्ग के लोगों या उनके कार्यों पर शोध करता है और संबंधित व्यक्ति अपना लिखित सहमति पत्र देने में असमर्थ है तो उस व्यक्ति के अंगूठे का निशान लिया जा सकता है, लेकिन साक्ष्य के लिए दो शिक्षित व्यक्तियों के हस्ताक्षर जरूरी होंगे।
शोध कार्यों के संपादन में नैतिकता जरूरी : डॉ. पल्टा
कुलपति डॉ. अरुणा पल्टा ने कार्यक्रम में कहा कि शोध कार्यों के संपादन में नैतिकता अतिआवश्यक है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च नई दिल्ली ने प्रत्येक शोधार्थी को एथिकल कमेटी के सामने उपस्थित होना अनिवार्य किया है। मनुष्य, पशु, पक्षी या मनोविज्ञान, प्राणीविज्ञान तथा रक्त आदि पर अध्ययन करने वाले प्रत्येक शोधार्थी को अनुमोदन जरूरी होगा।
सहमति पत्र के प्रारूप के रूप में दी गई जानकारी
विषय विशेषज्ञों ने पालकों और स्कूलों के प्राचार्यों से लिए जाने वाले सहमति पत्र के प्रारूप के संबंध में भी जानकारी दी। इसमें विषय, उसका उपयोग, डाटा में कहां से कहां तक का उल्लेख कर रहे हैं। इस पर पालकों और प्राचार्यों को कोई आपत्ति नहीं है आदि चीजें लिखवाने के लिए प्रारूप में स्थान, उनके हस्ताक्षर लेने वाले स्थान समेत इससे संबंधित अन्य सभी प्रकार की जानकारियां शोधार्थियों को दी गई। इसी फार्मेट में उपयोग होगा।
शोधार्थियों के लिए कई अन्य गाइडलाइन जारी की गई
पीएचडी सेल प्रभारी और अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि इसमें होमसाइंस, शिक्षा, वाणिज्य, बायो टेक्नोलॉजी, समाज शास्त्र, अर्थ शास्त्र आदि के 40 शोधार्थी शामिल हुए। उन्हें शोध के संबंध में आवश्यक जानकारियां देने के लिए आईसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार विषय विशेषज्ञ के रूप में रविवि की बायो साइंस विभाग की पूर्व प्राध्यापक डॉ. मिताश्री मित्रा सहित अन्य मौजूद थे।