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नई व्‍यवस्‍था:सरकारी अस्पतालों में भर्ती होंगे आईटी और मैनेजमेंट प्रोफेशनल… ताकि मरीज प्रबंधन और डिजिटल सुविधाओं का जिम्मा उठा सकें

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छत्तीसगढ़ में सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में पहली बार चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई) कार्यालय प्रदेश के 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों और इनसे संबद्ध अस्पतालों के लिए आईटी और मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की भर्ती करने जा रहा है। दरअसल, सरकारी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों का पूरा सिस्टम अब बहुत जल्द डिजिटल और आनलाइन मोड पर किया जा रहा है। इसके बाद इनमें पहुंचने वाले मरीजों को अस्पताल में अप्वाइंटमेंट से लेकर जांच इलाज से संबंधित सारी चीजें आनलाइन मिलेंगी।

डीएमई कार्यालय ने प्रत्येक मेडिकल कॉलेज और इससे संबद्ध अस्पताल में दो- दो आईटी प्रोफेशनल और दो -दो मैनेजमेंट प्रोफेनल्स नियुक्त करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। डीएमई कार्यालय में भी 4 आईटी प्रोफेशनल्स भर्ती किए जाएंगे, जो यहां की वेबसाइट के अलावा मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के पूरे सिस्टम को डिजिटल और आनलाइन मोड में कन्वर्ट करेंगे।

इस तरह, जल्दी ही सरकारी हेल्थ सेक्टर में आईटी और मैनेजमेंट के 50 से ज्यादा युवाओं को नौकरी भी मिलेगी। दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना काल में मरीजों के पंजीयन, जांच और इलाज से जुड़े पूरे सिस्टम को डिजिटल मिशन से जोड़ने की कवायद की थी। इस सिस्टम को चलाने के लिए अस्पतालों में आईटी और मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की कमी महसूस की जा रही है, इसलिए यह प्रस्ताव बना।

ऐसा है ई-हॉस्पिटल सिस्टम
डिजिटल हेल्थ कार्ड के जरिए सरकारी और निजी अस्पतालों को ई हॉस्पिटल यानी एचएमआई सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। प्रदेश में काफी सारे अस्पताल अब सिस्टम से धीरे धीरे जुड़ गए हैं। इलाज के लिए अस्पताल आने वाले मरीज का हेल्थ रिकॉर्ड इसी सिस्टम में रहेगा। मरीज आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की वेबसाइट https://healthidndhm.gov.in/register में स्मार्ट फोन या कंप्यूटर के जरिए अपनी यूनीक हेल्थ आईडी बना सकते हैं।

मरीज के इसी सिस्टम में एक यूनीक हेल्थ आईडी बनाई जाएगी। 14 अंकों की ये हेल्थ आईडी मरीज के हेल्थ रिकॉर्ड से जुड़ी रहेगी। इसके जरिए ही मरीज या डॉक्टर कभी भी इलाज जांच से जुड़ी हर जानकारी देख सकेंगे। गौरतलब है कि जारी किए गए निर्देश में कहा गया है कि हेल्थ आईडी और आयुष्मान कार्ड अलग-अलग कार्ड हैं। इनका एक दूसरे से कोई संबंध नहीं होता है।

डॉक्टर अपने लैपटॉप कम्यूटर सिस्टम या मोबाइल फोन से मरीज की आईडी के आधार पर उसके इलाज से जुड़े हर एक पहलू को देख सकते हैं। यानी अगर मरीज अगर किन्हीं कारणों से अस्पताल या डॉक्टर बदल लेता है, तो भी उसे अपने पुराने हेल्थ रिकॉर्ड और रिपोर्ट को साथ लेने की जरूरत नहीं पड़ती है। नए अस्पताल या डॉक्टर के पास जाने पर उसकी आईडी से पूरा रिकॉर्ड संबंधित डॉक्टर देख लेता है।

आईटी और मैनेजमेंट वालों से मरीजों को ऐसे मिलेगा फायदा
सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में आईटी और मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की एंट्री के बाद जानकारों का मानना है कि पूरी व्यवस्था में बड़ा बदलाव हो जाएगा। प्राइवेट अस्पतालों की तरह सरकारी अस्पतालों का मैनेजमेंट सिस्टम पूरी तरह बदल जाएगा। सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज जांच और दवा वितरण से जुड़े सिस्टम को अधिक प्रोफेशनल तरीके से काम करेगा।

डिजिटल हेल्थ आईडी बनवाने वाले मरीजों को अस्पताल में लंबी कतार से निजात मिल जाएगी। ओपीडी या भर्ती के लिए वो अस्पताल में डॉक्टर उपलब्ध है या नहीं ये भी आनलाइन सिस्टम से ट्रैक कर सकेंगे। अपना अप्वाइंटमेंट भी बुक कर सकेंगे। वहीं जांच की सारी रिपोर्ट हेल्थ आईडी कार्ड के जरिए अपने मोबाइल पर ही देख सकेंगे। अस्पताल में साफ सफाई, मरीजों के बेड की उपलब्धता का सिस्टम, दवा की उपलब्धता, मरीजों के खानपान आदि की देखरेख भी अच्छी तरह मैनेज हो सकेगी। अफसरों ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज और संबद्ध अस्पतालों के बाद ये सिस्टम जिला अस्पतालों और एसएचसी के लिए भी लागू होगा।