बस्तर में मलेरिया पर नियंत्रण पाने स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य स्वास्थ्य से संबंधित एंजेसियां मलेरिया की रोकथाम में लगी हुई है। लेकिन बस्तर में मलेरिया के पीडि़तों की संख्या बढ़ रही है और अभी इस बीमारी से एक मरीज की मौत भी हो गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मलेरिया पर नियंत्रण पाने विभाग हर साल दवा छिडक़ाव से लेकर बीमारी से बचाव की जानकारी दे रहा है। इसके बाद भी न तो मेडिकेटेड मच्छरदानियों और न ही दवा के छिडक़ाव का कोई प्रभाव मच्छरों पर हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और अधिक खराब है जहां घर-घर में मलेरिया के पीडि़त मिल जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि मलेरिया से सर्वाधिक परेशानी बच्चों को और वृद्धजनों को होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता इन आयु वर्ग के लोगों में अधिक है और इसका परिणाम यह है कि इसी साल जनवरी से लेकर मई के बीच 2916 मरीज पाए गए वहीं लोहांडीगुड़ा के रहने वाले एक ग्रामीण की मौत भी मलेरिया से हो गई। इस बीमारी के चलते हो गई है। गंदगी और गंदे पानी की जमाव से गांवों में इस बीमारी का प्रभाव बढ़ रहा है और इस सिलसिले में इसे नियंत्रित करने के उपाय केवल सतही ही तौर पर हो रहे हैं।
इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि मलेरिया पर नियंत्रण पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा पिछले माहों में अल्फा सायफर मेथिन और डीडीटी का छिडक़ाव करवाया गया है। अभी दूसरे चरण का यह कार्य चल रहा है लेकिन दवा छिडक़ाव का प्रभाव आशाओं के विपरीत धरातल पर नहीं दिख रहा। स्वास्थ्य विभाग के सूत्र कहते हैं जब तक ग्रामीणों की स्वच्छता से संबंधित आदतों में सुधार नहीं हो जाता तब तक प्रभावित तौर पर इसका नियंत्रण नहीं हो सकता।