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जान जोखिम में डालकर जर्जर स्कूल भवन में बच्चे पढ़ने के लिए मजबूर

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जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड के जामपानी गांव में संचालित इस स्कूल में प्राइमरी स्कूल इतना जर्जर हो चुका है कि बारिश के मौसम में बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्कूल में 20 आदिवासी और पिछड़े तबके के बच्चे भयावह हालात में पढ़ने के लिए मजबूर हैं. खपरैल से बने इस स्कूल में बच्चे तो आते ही हैं और शिक्षक भी ऐसे हालात में भी पढ़ाने का जज्बा रखता है.

जशपुर जिले के जामपानी का या प्राथमिक स्कूल का भवन जर्जर और बारिश में टपकता है. यहां बिजली के लिए सरकार ने दो सौर ऊर्जा सिस्टम लगवाए हुए हैं, लेकिन वायरिंग के अभाव में एक साल से बल्ब तक नहीं जल पाया. स्कूल में सौलर पैनल लगाने के लिए छत नहीं है. स्कूल में एक रसोई कक्ष है वह बारिश के मौसम में टपकता है. कहने को तो स्कूल में सभी सुविधाएं हैं, लेकिन पीने के पानी के अलावा स्कूल में कुछ भी व्यवस्थित नहीं है.

स्कूल के हेडमास्टर बी तिग्गा ने बताया कि कई सालों से स्कूल की स्थिति की रिपोर्ट प्रशासन को भेज रहे हैं, लेकिन आज तक किसी ने सुनाई नहीं की. गांव में स्कूल होने के कारण बड़े अधिकारी, नेता, मंत्री व विधायक कभी नहीं पहुंचते. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार पहले बैठने के लिए अच्छा स्कूल गांव को दें, फिर जो भी करना है वह करें. ग्रामीणों का कहना है कि लोग श्रमदान करते करते थक गए हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा.

जर्जर स्कूल की स्थिति के बारे में बीईओ मनीराम यादव ने कहा कि स्कूल के लिए नए भवन का आंकलन तैयार किया जा रहा है. एक सप्ताह के भीतर स्कूल को बारिश से बचाने की व्यवस्था करने का आश्वसन दिया है.

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