देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. हर दिन कोरोना के नए वेरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. पिछले 4 दिनों की बात करें तो ओमिक्रॉन के 21 नए मामले सामने आ चुके हैं. कोरोना (Corona) की दूसरी लहर (Second Wave) के दौरान जिस तरह का मंजर देखने को मिला था उसे देखने के बाद अब तीसरी लहर (Third Wave) को लेकर केंद्र सरकार और विशेषज्ञ पहले से ही सचेत हो गए हैं. कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंटको देखते हुए देश में बूस्टर डोज की चर्चा होने लगी है. केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय एक ओर जहां लोगों से कोरोना की दोनों डोज लेने की अपील कर रहे हैं वहीं बूस्टर डोज (Booster Dose) को लेकर भी अहम बैठक की जा रही है.
अक्टूबर में हेल्थ जर्नल लैंसेट (Lancet) में आई एक स्टडी में बताया गया था कि फिलहाल बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है. लेकिन विशेषज्ञों ने ये भी कहा था कि अगर कोरोना का कोई नया और ज्यादा खतरनाक स्ट्रेन देखने को मिला तो बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में हर किसी के जेहन में एक ही सवाल उठ रहा है कि बूस्टर डोज के लिए कौन सी वैक्सीन ज्यादा असरदार साबित होगी. लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर किसी ने कोवैक्सीन(Covaxin) या कोविशील्ड (Covishield) या स्पूतनिक (Sputnik-V) की दोनों डोज लगवा ली है तो उसे क्या दूसरी कंपनी की बूस्टर डोज लगाई जा सकती है
इस संबंध में एम्स, दिल्ली के निदेशक रणदीप गुलेरिया की सलाह है कि अगर आप कभी बूस्टर डोज लगवाने जाएं तो नई वैक्सीन लगवाना ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. इसका मतलब है कि अगर आपने कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज ली है तो बूस्टर डोज के लिए कोवैक्सीन लगवानी चाहिए और अगर आपने कोवैक्सीन की दोनों डोज ली हैं तो आपको बूस्टर डोज के लिए कोविशील्ड वैक्सीन का इस्तेमाल करना चाहिए.
बता दें कि टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) की आज होने वाली अहम बैठक में कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों को कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर डोज देने के मुद्दे पर विचार किया जाएगा. ऐसे किसी व्यक्ति को एक पूर्वनिर्धारित अवधि के बाद बूस्टर खुराक दी जाती है, जब यह माना जाता है कि प्राथमिक टीकाकरण की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में कमी आ गई है, जबकि अतिरिक्त खुराक कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों को दी जाती है जब प्राथमिक टीकाकरण संक्रमण और रोग से पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करता है. हाल ही में, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने औषधि नियामक से कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ बूस्टर खुराक के रूप में कोविशील्ड के लिए मंजूरी मांगी थी.
कोविशील्ड का बूस्टर डोज ओमिक्रॉन वेरिएंट में है कारगर
कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वेरिएंट के सामने आने के बाद वैक्सीन के बूस्टर डोज की मांग और तेज हुई है, जिसे पहले के डेल्टा वेरिएंट से भी अधिक संक्रामक बताया जा रहा है. इस बीच ICMR के वैज्ञानिकों की टीम ने अध्ययन में पाया है कि कोविड रोधी वैक्सीन कोविशील्ड के बूस्टर डोज को ओमिक्रॉन के खिलाफ काफी प्रभावी बताया गया है. ICMR के मुताबिक, कोविशील्ड टीके कोरोना वायरस के डेल्टा डेरिवेटिव को बेअसर करने, गंभीर बीमारी तथा इससे होने वाली मौतों को रोकने में सक्षम हैं.