इस कहानी का शीर्षक पढ़कर आप थोड़ा हैरान हो सकते हैं, लेकिन तथ्यात्मक रूप से यही सत्य है. भारत सरकार ने एक ऐसे शख्स को पद्मश्री से सम्मानित किया है जो आधिकारिक तौर पर पाकिस्तानी सेना का अफसर रह चुका है. दरअसल, इस कहानी की शुरुआत करीब पांच दशक पहले 1971 में हुई थी. उस वक्त पाकिस्तान की सेना में एक 20 वर्ष का अफसर नियुक्त हुआ था. उस अफसर का नाम था लेफ्टिनेंट कर्नल काजी सज्जाद (Lt Col Quazi Sajjad). इस अफसर को पिछले दिनों भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है.
कुछ ऐसी है पूरी कहानी
काजी सज्जाद का पूरा नाम काजी सज्जाद अली जहीर है. 1971 के भारत-पाक युद्ध से कुछ ही समय पहले वह पाकिस्तानी फौज में भर्ती हुए थे. उस वक्त पूर्वी पाकिस्तान (मौजूदा बांग्लादेश) में सेना की क्रूरता को देखकर उनका दिल दहल गया. वह उस वक्त पाकिस्तान के सियालकोट सेक्टर में तैनात थे. पाकिस्तानी फौज की क्रूरता से वह इस हद तक परेशान हुए कि उन्होंने एक दिन सेना के अहम दस्तावेज और मैप अपने जूते में छिपाकर भारत भाग आए. भारत की सीमा में उनके आने के बाद उनकी तलाशी में उनके पास से केवल 20 रुपये और सेना के दस्तावेज बरामद हुए. पहले तो भारतीय सेना ने उनको पाकिस्तान का जासूस समझा, लेकिन उनको पठानकोट ले जाया गया जहां वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने उनसे पूछताछ की. पूछताछ के दौरान उन्होंने पाकिस्तानी सेना की योजना के बारे में जो बातें बताई उस पर सेना ने कार्रवाई की और वो जानकारी सटीक निकली.
दिल्ली भेजा गया
इसके बाद लेफ्टिनेंट कर्नल काजी सज्जाद को दिल्ली भेज दिया गया. दिल्ली में उनको एक बेहद सुरक्षित घर में कई महीनों तक रखा गया. इसके बाद बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए मुक्ति वाहिनी को छापामार युद्ध की ट्रेनिंग देने के बाद उनको बांग्लादेश भेजा गया.