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जलवायु परिवर्तन की चपेट में आने वाली दुनिया की पहली मरीज हैं ये महिला..

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कनाडा (Canada) की एक महिला को कथित तौर पर जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से पीड़ित दुनिया की पहली मरीज बताई जा रही हैं. इस महिला को सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है. मरीज की जांच कर रहे डॉक्टरों ने कहा है कि लू और खराब वायु गुणवत्ता (Air Quality Index) मरीज की स्वास्थ्य स्थिति के लिए जिम्मेदार है. मरीज कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत की एक सीनियर सिटीजन हैं और गंभीर अस्थमा से जूझ रही हैं.

कोरोना वायरस (Covid-19 Pandemic) महामारी से जूझने के साथ-साथ कनाडा को जून में अब तक की सबसे खराब लू (हीटवेव) का सामना करना पड़ा. इसके बाद जंगल की आग के कारण चारों तरफ स्मॉग (Smog) फैल गया. इससे हवा और भी जहरीली होती गई. जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से पीड़ित महिला मरीज एक ट्रेलर में रहती है और उनकी उम्र 70 साल के पार है. लू के बाद से उन्हें सांस लेने में खासी दिक्कतें आ रही थीं, जिसके बाद डॉक्टर मेरिट के यहां उनका इलाज चल रहा था.

डॉक्टर मेरिट ने कहा, ‘मरीज को डायबिटीज है. उन्हें कुछ दिल की बीमारी भी है. वह बिना एयर कंडीशनिंग वाले ट्रेलर में रहती हैं. लिहाजा गर्मी और लू से उनकी सेहत पर बुरा असर हुआ है. वह वास्तव में हाइड्रेटेड रहने के लिए संघर्ष कर रही हैं.’ डॉक्टर मेरिट का कहना है कि सिर्फ रोगियों के लक्षणों का इलाज करने के बजाय अंतर्निहित कारणों की पहचान करने और उन्हें हल करने की बहुत जरूरत है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटिश कोलंबिया में लोगों ने जून में भयानक हीटवेव की स्थिति का सामना किया. इससे 500 लोगों की मौत हो गई. हवा की गुणवत्ता अगले 2-3 महीनों के लिए 40 गुना अधिक खराब हो गई है.
हाल ही में, साइंस एनुअल जर्नल लैंसेट काउंटडाउन की स्टडी में पाया गया है कि पहले से कहीं अधिक कनाडाई भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों, जंगल की आग से उत्पन्न होने वाले गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना कर रहे हैं. हीटवेव कई हफ्तों तक चली और ब्रिटिश कोलंबिया का लिटन शहर इसकी चपेट में आ गया. लू के कारण कनाडा में 570 और अमेरिका में सैकड़ों लोगों की मौत हुई.
जलवायु परिवर्तन से पीड़ित महिला का ये मामला ऐसे वक्त पर आया है, जब दुनियाभर के देश जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन पर चिंता जाहिर कर रहे हैं. हाल ही में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में संपन्न हुई जलवायु सम्मेलन COP26 में पीएम मोदी समेत दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्षों ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने की अपील की थी.