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भारत की सॉफ्ट पावर में होगा इजाफा, अब LAC पर ‘तिब्बत विज्ञान’ से भी लैस होंगे सैनिक

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वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात भारतीय सैनिक अब दुश्मनों के खिलाफ जंगी हुनर के अलावा ‘तिब्बत विज्ञान’ या टिबेटोलॉजी में भी तैयार होने जा रहे हैं. इसके तहत जवानों को तिब्बत (Tibet) क्षेत्र और स्थानीय लोगों के बारे में सिखाया जाएगा. इसमें क्षेत्र की संस्कृति, भाषा और इतिहास जैसी कई चीजें शामिल होंगी. सेना के इस नए कदम से भारत की सॉफ्ट पावर में भी इजाफा होगा और क्षेत्र को लेकर रणनीति तैयार करने में भी मदद मिलेगी.

वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र को बेहतर तरीके से जानना खुफिया जानकारी जुटाने में मददगार साबित होगा. साथ ही इसके जरिए क्षेत्र की आबादी के साथ भी तालमेल बिठाने में आसानी होगी. तिब्बत विज्ञान का नया कोर्स अरुणाचल प्रदेश के दाहुंग स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन कल्चरल स्टडीज (CIHCS) के सहयोग से किया जा रहा है. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसका 15 लोगों का पहला बैच इस साल मार्च और मई के बीच तैयार हुआ था. वहीं, दूसरा कोर्स नवंबर में शुरू होने जा रहा है.

अरुणाचल प्रदेश के तेंगा में स्थित CIHCS की स्थापना केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने 2003 में की थी. यह संस्था बुद्धिस्ट कल्चर प्रिजर्वेशन सोसायटी के तत्वावधान में काम कर रही थी. फिलहाल, संस्था में तिब्बती भाषा और संस्कृति को लेकर पीएचडी कोर्सेज भी चल रहे हैं.

इस कोर्स का मुख्य उद्देश्य क्लासेज के जरिए जनसांख्यिकी, इतिहास, भूगोल, भाषा, कला और संस्कृति से परिचित कराना है. यहां पढ़ने वालों को यह जानकारियां गेस्ट लेक्चर्स के साथ-साथ किताबों और फिल्मों के जरिए भी दी जाएंगी. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया, ‘क्षेत्र की तिब्बती आबादी, उनके रीति रिवाज, संस्कृति की खास विशेषताएं और राजनीतिक प्रभाव को समझना हमारे अफसरों को यह समझने में मदद करेगा कि हम क्या कर रहे हैं और कहां काम कर रहे हैं.’

वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, सेना के ट्रेनिंग कमांड ने तिब्बत विज्ञान के लिए भारत की 7 अन्य संस्थाएं भी चुनी हैं. यह प्रशिक्षण कुछ समय से जारी है, लेकिन उसे औपचारिक रूप अब दिया गया है. हर साल दो कोर्स की योजना बनाई गई है, जहां हर कोर्स में 15-20 प्रतिभागी मौजूद रहेंगे. कोर्स से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए तिब्बती मामलों के जानकार लामाओं को बोम्बडी ला मॉनेस्ट्री से बुलाया गया था.

यह जानकारी भी मिली है कि लंबी अवधि वाले कोर्स का भी प्रस्ताव दिया गया है, जिन पर विचार जारी है. अब तक अलग-अलग केंद्रों पर करीब 150 अधिकारियों ने प्रशिक्षण हासिल कर लिया है. अधिकारी का कहना है कि बड़ी संख्या में ऐसे जवानों को तैयार करने का विचार है, जो तिब्बती मामलों को समझ सकें.