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फीस के लिए मोहताज हुए 250 अफगान छात्र, वित्त मंत्री को सुनाई दास्तां.

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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद (Taliban’s occupation of Afghanistan) पंजाब व चंडीगढ़ के शैक्षणिक संस्थानों (educational institutions in Punjab and Chandigarh) में पढ़ रहे करीब 250 छात्र अपनी फीस भरने और अपने जीवन-यापन के खर्चे (living expenses) के लिए मोहताज हो गए हैं. यूनाइटेड सिख्स इंडिया (United Sikhs India) के निदेशक गुरप्रीत सिंह Gurpreet Singh ने इन छात्रों के प्रतिनिधिमंडल की आर्थिक सहायता का मामला पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल(Finance Minister of Punjab Manpreet Badal) से उठाया है. मनप्रीत बादल ने इन छात्रों की हर संभव सहायता करने का आश्वासन दिया है और कहा है कि वे इस मामले को कैबिनेट में भी विचार विमर्श के लिए रखेंगे.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में पढ़ रहे इन छात्रों में एक लड़की ऐसी भी है जिसकी दादी ने तालिबान के एक कथित हमले में एक आंख खो दी थी और परिवार के अन्य सदस्य कहीं गायब हो गए थे. एक अन्य लड़का जिसका भाई अफगान सेना का जवान था वह ईरान भाग गया. ऐसे कई अफगान छात्रों को उनके परिजनों ने खुदा के भरोसे ही छोड़ दिया है.
यूनाइटेड सिख्स इंडिया के निदेशक गुरप्रीत सिंह ने पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल के साथ इस मुद्दे को उठाया, जब अफगान छात्रों के प्रतिनिधियों ने उनसे संपर्क किया. गुरप्रीत सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री ने अफगान छात्रों को पंजाब सरकार द्वारा हर संभव वित्तीय सहायता का आश्वासन दिया है. मनप्रीत बादल ने पुष्टि की कि अफगान छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे वित्तीय मदद की मांग की है. पंजाब में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में लगभग 250 अफगान छात्र पंजीकृत हैं. उनके माता-पिता उन्हें पैसे भेजने की स्थिति में नहीं हैं. अफगानिस्तान में बैंक भी काम नहीं कर रहे हैं.
वित्त मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जब तक अफगानिस्तान में स्थिति सामान्य नहीं हो जाती और उनके परिवार उन्हें पैसे भेजने की स्थिति में नहीं हैं, तब तक वह कुछ महीनों के लिए फीस और भोजन के मामले में छात्रों को वित्तीय मदद के लिए मंत्रिमंडल में इस मुद्दे को उठाएंगे. गुरप्रीत सिंह ने बताया कि 250 में उन्हें 15 ऐसे छात्रों की सूची मिली, जिन्हें तत्काल 5000 रुपये की जरूरत थी और यूनाइटेड सिख्स इंडिया ने उन्हें पैसे देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि जैसा कि हम यहां अफगान अल्पसंख्यक की देखभाल कर रहे हैं, वैसे ही तालिबान को सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.
शहीद उधम सिंह ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस से बीटेक (कंप्यूटर साइंस) कर रहे 15 छात्रों में से एक 21 वर्षीय ख्वानिन बताती है कि अफगानिस्तान में स्थिति वास्तव में खराब है. वह कहती है कि मेरा परिवार मुझे बताता है कि उनके पास जीने के लिए आटा और रोटी जैसी बुनियादी जरूरतों को खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं. कोई नौकरी नहीं है. काबुल के एक इलाके के रहने वाले ख्वानिन ने कहा कि मुझे वित्तीय सहायता की तत्काल आवश्यकता है. अफगानिस्तान में मेरे 80 वर्षीय पिता काम करने में सक्षम नहीं हैं और परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाला उनका भाई भी बेरोजगार हो चुका है.

पंजाब के एक शिक्षण संस्थान में पढ़ने वाली अफगानिस्तान की एक छात्रा ने कहा कि घर से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलने से यहां की लड़कियों को अपने पीजी आवास में रहना मुश्किल हो रहा है. गुरप्रीत सिंह ने कहा कि उन्होंने चंडीगढ़ के केंद्र सिंह सभा गुरुद्वारे में तीन अफगान छात्राओं के रहने की व्यवस्था की है, जो पहले पीजी आवास में रह रही थीं.