अफ़ग़ानिस्तान में नई ‘तालिबानी’ सरकार पर अमेरिका आगे भी दबाव जारी रखेगा. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ज़ेड तरार ने न्यूज़18 से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि अमेरिका तालिबान के कदमों पर करीब से नज़र बनाए हुए हैं और अमेरिका के पास ऐसे कई साधन हैं जिससे तालिबान पर दबाव बनाया जा सकता है. लंदन से बात करते हुए ज़ेड तरार ने कहा कि अमेरिका के पास राजनयिक और आर्थिक टूल (साधन) हैं जिससे तालिबान पर आगे भी दबाब बनाया जा सकता है.
तालिबानी सरकार में हक़्क़ानी नेटवर्क समेत कई आतंकियों की मौजूदगी पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह चिंता की बात है कि ऐसे लोगों को मंत्री बनाया गया जिनका रिकॉर्ड दुनिया जानती है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग के लिए अफ़ग़ानिस्तान को लेकर तीन मुद्दे अहम हैं. पहला, अफ़ग़ानिस्तान से जो लोग बाहर निकलना चाहते हैं, उन्हें जाने दिया जाए. दूसरा, तालिबान ने जो वादा किया कि अफ़ग़ानिस्तान आतंक का अड्डा न बने, इस वादे को वो पूरा करेगा या नहीं. और तीसरा यह कि जो मानवीय सहायता लोगों तक पहुंचनी चाहिए, उसे बिना किसी बाधा के जाने दिया जाए.
तरार ने कहा कि सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में मानवीय सहायता को लेकर बैठक है, जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा होगी कि अफ़ग़ानिस्तान की जनता तक मानवीय सहायता कैसे पहुंचाई जा सके.
राष्ट्रपति बाइडन के सामने थे दो रास्ते
ज़ेड तरार ने न्यूज़18 से कहा कि नई बाइडन सरकार के सामने दो रास्ते थे. या तो वो तालिबान के साथ जंग जारी रखते, या पिछली यानी ट्रंप सरकार में तालिबान के साथ हुए समझौते को उसके निष्कर्ष पर पहुंचाते. उन्हें लगा कि एक ही सही रास्ता है कि अमेरिका अपनी जंग को खत्म करे. बाइडन चौथे राष्ट्रपति थे जिनके कार्यकाल में जंग जारी थी, बाइडन इस जंग को पांचवें राष्ट्रपति तक नहीं चलाना चाहते थे. राष्ट्रपति बाइडन को लगता है जंग को खत्म करके अपनी सेना को वापिस बुलाना ठीक फैसला है.
अफ़ग़ानिस्तान में हो समावेशी सरकार
ज़ेड तरार ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि अफ़ग़ानिस्तान में समावेशी सरकार बने, जिसमें मानवाधिकार का सम्मान हो, खासतौर पर महिलाओं के अधिकारों का सम्मान हो. उन्होंने कहा कि अमेरिका इस बात पर नज़र बनाए हुए है कि अफ़ग़ानिस्तान में अंतिम सरकार समावेशी होगी या नहीं.
भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से पारित प्रस्ताव का हवाला देते हुए तरार ने कहा कि इस प्रस्ताव से साफ है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तालिबान से क्या चाहता है. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि तालिबान राज में महिलाओं की स्थिति पर खास नज़र बनी हुई है और दोहा में अमेरिकी टीम तालिबान से प्रारंभिक चर्चा कर रही है.
भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से पारित प्रस्ताव का हवाला देते हुए तरार ने कहा कि इस प्रस्ताव से साफ है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तालिबान से क्या चाहता है. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि तालिबान राज में महिलाओं की स्थिति पर खास नज़र बनी हुई है और दोहा में अमेरिकी टीम तालिबान से प्रारंभिक चर्चा कर रही है.