भारत में बचत के लिए सेविंग्स अकाउंट (Saving A/C), फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), रिकरिंग डिपॉजिट (RD) में पैसे रखना सहज, सरल व सुरक्षित माना जाता है. यहां ध्यान देना जरूरी है कि इन सभी निवेश विकल्पों में जमा पैसे पर मिलने वाला ब्याज इनकम टैक्स (Income Tax) के दायरे में आता है. इन सेविंग्स स्कीम (Saving Schemes) से मिलने वाले ब्याज को अन्य स्रोत से आय (Income from other Sources) माना जाता है. बता दें कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 30 सितंबर तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR Filing) करना है. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि ब्याज आय पर टैक्स की कैलकुलेशन कैसे की जाती है और इनमें छूट की सीमा (Exemption Limit) कितनी होती है.
सेविंग्स अकाउंट में जमा से मिले ब्याज पर टैक्स
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन-80TTA के तहत बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी या पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट के मामले में 10,000 रुपये सालाना तक की ब्याज आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है. इसका फायदा 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति या हिंदू अविभाजि परिवारों (HUF) को मिलता है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट सीमा 50 हजार रुपये तक है. अगर उनकी ब्याज से इससे ज्यादा होगी तो टीडीएस काटा जाता है. पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट से होने वाली सालाना ब्याज आय पर धारा-10(15) के तहत 3500 रुपये तक की अतिरिक्त छूट का दावा किया जा सकता है. यह अतिरिक्त छूट तय सीमा से अलग है.
फिक्स्ड डिपॉजिट्स से मिले ब्याज पर टैक्स
बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट्स से मिलने वाले ब्याज पर बैंक टीडीएस काटते हैं. हालांकि, 60 साल से कम आयु के लोगों के लिए एफडी पर 40,000 रुपये तक की सालाना ब्याज आय पर कोई टीडीएस नहीं काटा जाता है. पोस्ट ऑफिस के फिक्स्ड डिपॉजिट्स से ब्याज आय पर कोई टीडीएस नहीं काटा जाता है. वरिष्ठ नागरिकों को एक वित्त वर्ष में 50,000 रुपये तक का ब्याज टैक्स के दायरे में नहीं आता है. वहीं, इससे ज्यादा आय होने पर 10 फीसदी टीडीएस काटा जाता है.
रिकरिंग डिपॉजिट से मिले ब्याज पर टैक्स
रिकरिंग डिपॉजिट से होने वाली ब्याज आय पर भी टीडीएस काटा जाता है. आरडी से भी साल में 40,000 रुपये और वरिष्ठ नागरिकों के मामले में 50,000 रुपये तक की ब्याज आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है. हालांकि, इस सीमा से ज्यादा ब्याज आय होने पर टीडीएस काटा जाता है.
पैन कार्ड नहीं होने पर ज्यादा कटेगा TDS
एफडी या आरडी से तय छूट सीमा से ज्यादा ब्याज आय होने पर बैंक 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटते हैं. अब अगर आपके पास परमानेंट अकाउंट नंबर (PAN) नहीं है तो बैंक 20 फीसदी की दर से टीडीएस काटेंगे.
कब नहीं लगेगा ब्याज आय पर टैक्स
अगर आपकी एफडी या आरडी से सालाना ब्याज आय तय सीमा से ज्यादा है, लेकिन इसे मिलाकर कुल सालाना आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो बैंक टीडीएस नहीं काट सकते. ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों को बैंक में फॉर्म-15H और सामान्य टैक्सपेयर्स को फॉर्म-15G जमा करना होता है. इस फॉर्म के जरिये घोषणा की जाती है कि आपकी कुल सालाना आय टैक्स के दायरे से बाहर है. इस फॉर्म को हर साल वित्त वर्ष की शुरुआत में जमा करना होता है ताकि टैक्स न कटे.