हर देश की सेना में कुछ सैनिक शामिल होते हैं, जिनके साहस, जज्बे, बलिदान, पराक्रम और ताकत के बारे में हम अक्सर सुनते रहते हैं। हर देश की सेना में ऐसे कुछ सैनिक शामिल होते हैं। वहीं कमांडो का नाम सुनकर हमारे दिमाग में ऐसे इंसान की छवि बनती है, जो सामान्य नहीं होता। एक कमांडो बड़ी आसानी से 8 से 10 आम इंसानों को या आम सैनिकों को भी पराजित कर सकता है। इनकी ट्रेनिंग भी अलग होती है। यहां हम दुनिया के सबसे खतरनाक कमांडो में शामिल अमेरिकी मरीन कमांडो के बारे में बता रहे हैं।
जंगल में आसानी से जिंदा रहते हैं मरीन कमांडो– मरीन कमांडो को जंगल में जिंदा रहने के लिए तैयार किया जाता है, ताकि भोजन न मिलने पर वो कच्चा मांस भी खा सकें और खुद को जिंदा रखने के साथ ही मजबत भी रख सकें। इसके लिए उन्हें ट्रनिंग के दौरान जिंदा कोबरा का खून पीना पड़ता है। इसके साथ ही उन्हें मुर्गा, छिपकली और बाकी जंगली जानवरों को मारकर कच्चा ही खाना पड़ता है। इन कमांडो की ट्रेनिंग पर पेटा आपत्ति भी जता चुकी है। एक बार मरीन कमांडो की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद कोबरा आपको जहरीला और खतरनाक सांप दिखने की बजाय भोजन के एक विकल्प के रूप में दिखता है।
क्या है कोबरा गोल्ड– हर साल वॉर एक्सरसाइज के दौरान हर कमांडो को कोबरा का खून पिलाया जाता है। इसके साथ ही उन्हें जहरीले बिच्छू भी पकड़कर खाने पड़ते हैं। सभी कमांडो के लिए ऐसा करना जरूरी होता है। अगर कोई कमांडो ऐसा करने से मना करता है तो उसे हमेशा के लिए नौकरी से निकाल दिया जाता है। जानवरों के अधिकारों की सुरक्षा करने वाली एजेंसी पेटा ने कोबरा के मारने पर आपत्ति जताई थी।
शारीरिक और मानसिक तौर पर होती है मजबूत ट्रेनिंग– मरीन कमांडो को बहुत मुश्किल ट्रेनिंग के जरिए शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत मजबूत बनाया जाता है। ये ट्रेनिंग किसी आम आर्मी अफसर की ट्रेनिंग से कई गुना ज्यादा कठिन होती है। मरीन कमांडो को 13 हफ्ते तक मुश्किल ट्रेनिंग दी जाती है। वहीं सेना में 10 और नेवी में 9 हफ्ते की ट्रेनिंग होती है। हालांकि खास बात यह है कि मरीन कमांडो की ट्रेनिंग में पुरुष और महिलाएं समान रूप से हिस्सा लेते हैं। ट्रेनिंग के दौरान यहां लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है और न ही कोई छूट दी जाती है।
ट्रेनिंग से पहले फिटनेस टेस्ट जरूरी– मरीन कमांडो की ट्रेनिंग के लिए हर सैनिक को नहीं चुना जाता है। इस ट्रेनिंग के लिए सैनिकों को भी पहले एक फिटनेस टेस्ट देना होता है। यह टेस्ट पास करने के बाद ही मरीन कमांडो की ट्रेनिंग शुरू होती है। हर साल 35 से 40,000 जवान इस मुश्किल ट्रेनिंग को पूरा करके मरींस बनते हैं। ये कमांडो पलक झपकते ही किसी का सफाया कर सकते हैं। इनके पास मॉर्डन टेक्नोलॉजी से लैस हर तरह का हथियार होता है। इन्हें मिसाइल तक लॉन्च करने की ट्रेनिंग दी जाती है।



