फाइल फोटो
झारखंड के खूंटी में रात तकरीबन 2.30 बजे। सांसद कड़िया मुंडा के अगवा सुरक्षागार्ड विनोद केरकेट्टा, सिय्योन सुरीन, सुबोध कुजूर और नागेंद्र सिंह भटकते हुए जंगल के रास्ते सायको थाना पहुंचे। चार अंजान लोगों की हलचल देख थाने भीतर तैनात संतरी ने राइफल को जवानों की दिशा में मोड़ते हुए आवाज लगायी। डरे सहमे पुलिसकर्मियों ने एक साथ दोस्त (संतरी के आवाज देने पर पुलिसकर्मी दोस्त बोल कर ही थाने के परिचित होने का एहसास दिलाते हैं) चिल्लाते हुए संतरी को आवाज दी।
जवानों को अहले सुबह तोरपा थाने लाया गया था
संतरी ने टार्च की रोशनी चारों पुलिसकर्मियों के चेहरे पर मारी, नागेंद्र के चेहरे पर लाइट की रोशनी पड़ी तब संतरी ने उसकी पहचान की। कुछ दिन पूर्व तक वह सायको थाने में नागेंद्र की पोस्टिंग रही थी।
युसूफ पूर्ति ने बताया था अपराधी:
पत्थलगड़ी समर्थकों के चंगुल से छूटने के बाद चारों पुलिसकर्मियों ने बताया कि अगवा किए जाने के बाद उन्हें घाघरा में सरकारी स्कूल के पास लाया गया। रास्ते में उनकी पिटाई भी उग्र समर्थक कर रहे थे, हालांकि तब कुछ बुजुर्ग बीच बचाव में आए। स्कूल के बाहर पत्थलगड़ी का नेता युसूफ पूर्ति मौजूद था। युसूफ ने पुलिसकर्मियों को लाए जाने के बाद कहा था कि ये लोग भी हमारे अपराधी हैं, इनके साथ भी वही सलूक करना है जो पुलिस के साथ करते हैं। स्कूल में लाए जाने के बाद चारों पुलिसकर्मियों की वर्दी उतरवा दी गई थी। हाथ-पांव बांधकर एक कमरे में बैठा दिया गया था। 26 जून की रात 7.30 बजे तक उन्हें स्कूल में ही रखा गया था।.
आंख पर पट्टी बांधी, मोटरसाइकिल से एक गांव से दूसरे गांव ले गए:
जवानों के मुताबिक, घाघरा गांव में पुलिस की दबिश बढ़ रही थी। महिलाओं-बच्चों को आगे कर पुलिस का विरोध कराया जा रहा था। पत्थलगड़ी समर्थकों ने चारों जवानों की आंख में पट्टी बांधी। इसके बाद अंधेरे में ही उन्हें मोटरसाइकिल पर बैठाकर दूसरे गांव ले गए। अगवा जवानों के मुताबिक, जब-जब पुलिस संभावित गांव में पहुंचती,15-20की संख्या में ग्रामीण उन्हें लेकर बाइक से आगे के गांव के लिए निकल जाते थे।
ग्रामसभा की पुलिस में भर्ती हो जाओ:
मुक्त हुए जवानों ने पुलिस अधिकारियों को बताया है कि पत्थलगड़ी समर्थक उन्हें ग्रामसभा की पुलिस में भर्ती होने को कह रहे थे। जवानों ने बताया कि पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा उन्हें धमकाया जाता था। बार-बार कहा जाता था कि सरकार के पुलिस की नौकरी क्यों करते हो, उस पुलिस की नौकरी छोड़ दो। ग्रामसभा की पुलिस में भर्ती हो जाओ।
मुक्त होने के बाद लगे अभियान में:
पत्थलगड़ी समर्थकों के चुंगल से मुक्त होने के ठीक बाद जवानों को अभियान में लगाया गया था। आईजी नवीन कुमार सिंह ने बताया कि जिन गांव में पुलिसकर्मियों को रखा गया था, वहां अभियान में चारों पुलिसकर्मी साथ-साथ आए। मुक्त हुए पुलिसकर्मियों ने घाघरा में सर्च ऑपरेशन में भी भाग लिया। जवानों ने बताया था कि घाघरा लाए जाने के बाद हथियार के संबंध में ग्रामीणों की बातचीत उन्होंने सुनी थी। गांव के ही पुलिसकर्मियों के बताए संभावित जगहों पर छापेमारी कर इंसाफ राइफल व मैगजीन की बरामदगी की गई।
जवानों को मुक्त कराने के बाद शुक्रवार की सुबह उन्हें तोरपा थाने लाया गया था। साइको से सीधे जवानों को लेकर पुलिस की टीम सुबह पांच बजे तोरपा थाना पहुंची थी। जवान यहीं फ्रेश हुए। डेढ़ घंटे के बाद उन्हें खूंटी ले जाया गया। इस संबंध में तोरपा पुलिस ने कुछ भी बताने से इनकार किया। मीडिया और भीड़भाड़ से दूर रखने के लिए जवानों को गुपचुप तरीके से तोरपा थाने लाया गया था।
सायको थाना पहुंचने के बाद भी चारों पुलिसकर्मी काफी नर्वस और सहमे हुए थे। थाना पहुंचने के आधा घंटे बाद वे सामान्य हुए। बाद में जवानों को खूंटी थाना लाया गया। जहां आईजी नवीन कुमार सिंह, डीआईजी अमोल वी होमकर ने जवानों से बीते चार दिनों का हाल जाना।
जवानों ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि अगवा किए जाने के बाद काफी देर तक उन्हें भूखे रखा गया था। लेकिन गांव के बुजुर्गों ने बाद में युवकों को समझाया, बुझाया। इसके बाद उन्हें खाना दिया गया। जवानों ने बताया कि बुजुर्गों ने युवकों को समझाया कि अगवा जवान अपने ही लोग हैं, तब जाकर थोड़ा रहम रवैया अपनाया गया।
रांची से रश्मि सिंह