हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरने के लिए भारत, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों की नई दिल्ली में 13 अप्रैल को बैठक होने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक तीनों देश समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने और हिंद प्रशांत क्षेत्र से जुड़े दूसरे मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बैठक में रवांडा और डेनमार्क के राष्ट्राध्यक्ष भी हिस्सा लेंगे, साथ ही अन्य 10 राष्ट्रों के विदेश मंत्री भी शामिल होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक के उद्घाटन और समापन सत्र को संबोधित कर सकते हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस के विदेश मंत्री जीन वेस ले ड्रियन दो दिवसीय दौर पर 12 अप्रैल को भारत आ रहे हैं. इस दौरे पर वे भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मेरिस पेन के साथ मुलाकात करेंगे. 13 अप्रैल को फ्रांस के प्रधानमंत्री जीन कास्टेक्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष भारतीय नेताओं के साथ फोन पर बातचीत कर सकते हैं.
एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया, “त्रि-पक्षीय बातचीत माध्यमिक शक्तियों के बीच होगी, जिनके पास लोकतांत्रिक राजनीति है और आर्थिक ताकत के साथ साझा मूल्य हैं, जिसके तहत वे व्यापार और प्रौद्योगिकी के मामले में एक दूसरे की मदद करते हैं.” तीनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत में वैश्विक सुरक्षा के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन से व्याप्त खतरे पर भी चर्चा होने की उम्मीद है. रिपोर्ट के मुताबिक माना जा रहा है कि फ्रांस के उच्चायुक्त क्रिस्टोफे पेनोट ने पिछले हफ्ते वर्चुअल मीटिंग में फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और भारत की भूमिकाओं की महत्ता को रेखांकित किया था. खासतौर पर हिंद प्रशांत क्षेत्र में नई दिल्ली की भूमिका के बारे में उन्होंने खासा जोर दिया था.
एक रिटायर्ड राजनयिक ने मामले पर टिप्पणी देते हुए कहा कि पिछले साल महीने में भारत द्वारा पूर्वी लद्दाख में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को घुटने टेकने पर मजबूर किए जाने के बाद फ्रांस और ब्रिटेन जैसे रणनीतिक देशों को भारत की महत्वपूर्ण भूमिका का अंदाजा हो गया है. रणनीतिक साझेदारों को समझ आ गया है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में मुक्त आवागमन सुनिश्चित करने के लिए भारत केंद्रीय भूमिका में है.इससे पहले भारत, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच 24 फरवरी को हिंद प्रशांत क्षेत्र में बेहतर साझेदारी और समन्वय के मुद्दे पर बैठक हुई थी.