पश्चिम बंगाल के चुनाव (West Bengal Assembly Election 2021) में इस बार हर किसी की निगाहें जंगल महल (Jungle Mahal) इलाके पर टिकी हैं. यहां की 42 विधानसभा सीटें तय कर सकती हैं कि आखिर इस बार बंगाल में किसकी सरकार बनेगी. तृणमूल कांग्रेस (TMC) या फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP). दोनों दलों का प्रदर्शन इस बार यहां के कुर्मी और आदिवासी वोटरों पर निर्भर है. पिछले एक दशक से इन दोनों समुदायों पर लेफ्ट का प्रभाव रहा है.
पश्चिम बंगाल के चुनाव (West Bengal Assembly Election 2021) में इस बार हर किसी की निगाहें जंगल महल (Jungle Mahal) इलाके पर टिकी हैं. यहां की 42 विधानसभा सीटें तय कर सकती हैं कि आखिर इस बार बंगाल में किसकी सरकार बनेगी. तृणमूल कांग्रेस (TMC) या फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP). दोनों दलों का प्रदर्शन इस बार यहां के कुर्मी और आदिवासी वोटरों पर निर्भर है. पिछले एक दशक से इन दोनों समुदायों पर लेफ्ट का प्रभाव रहा है.
आदिवासी समुदाय की जीत
पिछले पंचायत चुनावों में यहां आदिवासी समुदाय के कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को हराया. टीएमसी और वाम दलों के प्रत्याशियों को हार के लिए मजबूर होना पड़ा. जबकि भाजपा ने पुरुलिया और झाड़ग्राम जिलों में एक तिहाई से अधिक ग्राम पंचायत सीटें जीतीं.
बीजेपी की अच्छी पकड़!
आदिवासियों के गुस्से को भांपते हुए, टीएमसी ने पिछले संसदीय चुनावों में झाड़ग्राम सीट पर एक संथाल महिला को मैदान में उतारा. हालांकि यहां जीत बीजेपी के उम्मीदवार को मिली. और वो भी बड़े अंतर से. इस इलाके में बीजेपी की जीत का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जाता है. यहां सरस्वती शिशु मंदिर स्कूलों और अन्य सामाजिक कामों का बीजेपी को फायदा मिला है. झाड़ग्राम में वनवासी कल्याण केंद्र के अलावा एकल विद्यालय का एक नेटवर्क है.
आरएसएस का बोलबाला
आरएसएस यहां ईसाई संगठनों के प्रसार का विरोध करने के साथ-साथ लेफ्ट संगठनों से भी लड़ रहा है. 2018 की शुरुआत में, पश्चिम बंगाल सरकार ने 120 से अधिक शिशु मंदिरों को बंद कर दिया था और आरएसएस द्वारा संचालित 350 और ऐसे स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया था. हालांकि इस क्षेत्र में भाजपा को इसका काफी फायदा हुआ.
पिछले लोकसभा चुनाव का हाल
जंगल महल क्षेत्र में चार जिले पुरुलिया, झाड़ग्राम, पश्चिम मिदनापुर और बांकुरा शामिल हैं. यहां कुल छह लोकसभा और 42 विधानसभा सीटें हैं. पिछली बार यहां छह लोकसभा सीटों में से, भाजपा ने चार सीटें जीतीं- झाड़ग्राम, पुरुलिया, मिदनापुर और बांकुरा. जबकि घाटल और बिष्णुपुर में तृणमूल कांग्रेस को जीत मिली थी.
30 लाख कुर्मी
जगंल महल इलाके में करीब 30 लाख कुर्मी समुदाय के लोग रहते हैं. लिहाजा टीएमसी और बीजेपी दोनों ही पार्टियां इनका समर्थन हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. यहां किसी भी पार्टी के लिए 42 में से कम से कम 30 सीट जीतना बेहद निर्णायक साबित हो सकता है. बीजेपी यहां TMC के खिलाफ भ्रष्टाचार का का मुद्दा उठा रही है. इसके अलावा पार्टी स्थानीय नेताओं के बीच नाराजगी भी खत्म करने की कोशिश कर रही है.