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पुलिस को परेशानी : धार में पुलिस को देखते ही तीर-कमान निकाल लेते हैं, भरतपुर में पथराव, झारखंड में बच्चे घेर लेते हैं, राजगढ़ में तो… जानिए

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राजधानी में इन दिनों चोरी-डकैती के जो मामले सामने आए, उनमें ज्यादातर अपराधी राज्य के बाहर से हैं। पुलिस इन्हें पकड़ने उनके इलाके में जा रही है, तो अजीबोगरीब तरह की दिक्कतों का सामना कर रही है। एसएसपी अजय यादव के मुताबिक बाहर जाने वाली टीम के संपर्क में रहना जरूरी होता है, क्योंकि अप्रत्याशित घटनाओं की आशंका रहती है। इस समय मोबाइल चोरी के मामलों में दो टीमें बिहार के मुजफ्फरपुर और घोड़ासाहन गई हुई हैं, लेकिन उन्हें ऐसी परेशानियां आ रही हैं, जिसके बारे में आमतौर पर लोग नहीं जानते। आज भास्कर आपको बता रहा है कि जब पुलिस की टीमें बाहर अपराधियों को पकड़ने जाती हैं, तो उन्हें कैसी कैसी दिक्कतें आती हैं।

महिलाएं बनती है बदमाशों की ढाल
झारखंड के जामताड़ा समेत करीब 4 जिलों के 30 से ज्यादा गांव देशभर में ऑनलाइन ठगी के लिए चर्चित हो चुके हैं। वहां के बेरोजगारों ने ठगी को ही अपना कारोबार बना लिया है। ठगी करने वाले इन युवकों को ट्रेस करना मुश्किल होता है। क्योंकि वे बंगाल और झारखंड की आईडी में फोन नंबर चलाते है। बैंक खाते के लिए भी फर्जी आईडी उपयोग करते है। यहां जब भी पुलिस पहुंचती है महिलाएं इनकी ढाल बनकर खड़ी हो जाती है। इन बदमाशों को पकड़ने के लिए रात 1.30 बजे से 3.30 बजे के बीच ऑपरेशन चलाना पड़ता है। इसके बावजूद अगर महिलाएं जाग गईं तो किसी को भी पकड़ना मुश्किल हाेता है। हमारी टीम जब दो महीने पहले एक इनपुट पर पहुंची तो महिलाओं ने घेर लिया। उनका सुरक्षा घेरा तोड़ा लेकिन तब तक ठगों को मौका मिला और वे भाग निकले।
– शंकर लाल ध्रुव, एएसआई

नेपाल भाग जाते हैं चोर
बिहार घोड़ासाहन गिरोह देश में मोबाइल चोरी करते हैं। दिसंबर में इस गिरोह ने रायपुर सहित आस-पास के शहरों में आधा दर्जन वारदातें की। गिरोह का क्लू मिलने के बाद पुलिस की टीम लोकेशन पर पहुंच गई। फील्ड पर पता चला घोड़ासाहन इलाका तो नेपाल बार्डर पर है। यहां ऑपरेशन चलाने के दौरान ग्रामीणों ने घेर लिया। भीड़ में पिस्टल लेकर दो लोग खड़े हो गए। गांव से लौटना पड़ा। बाद में नेपाल बार्डर पर चोर पकड़े गए, लेकिन गांव में घुसकर हम उन्हें नहीं पकड़ सके।
-किशोर सेठ, एएसआई

पहाड़ों से चलते हैं तीर…
“दिसंबर में हमारी टीम मप्र के धार के टाडा, नवगांव, बाग गई। यहां के अपराधी पत्थर गिरोह के नाम से चर्चित हैं। इस गिरोह ने विधानसभा और सेजबहार के चार मकानों में सेंधमारी की थी। जब टीम गांव में घुसने की कोशिश की, तो ग्रामीणों ने तीर-कमान लेकर रोक दिया। कुछ लोगों के हाथ में पत्थर थे। चेतावनी दी कि अगर आगे बढ़े तो तीरों से छलनी कर देंगे। फिर रात को 2 बजे चोरों के घर में दबिश दी।”
– रमाकांत साहू, टीआई साइबर सेल

पथराव: गांव से बाहर रहे
“मप्र के राजगढ़ के गिरोह ने दिसंबर में मैरिज हॉल से गहनों का बाक्स चुरा लिया। हम पड़ताल के बाद पचोर गांव पहुंचे तो लोगों के हाथ में पत्थर थे। उन्होंने गाड़ी से उतरने तक नहीं दिया। स्थानीय पुलिस से मदद मांगी तो कहा कि गांव में घुसने की कोशिश करना खतरनाक है। पांच दिन तक इंतजार किया। मुखबिर बनाया, तब जाकर कहीं अपराधियों तक पहुंच पाए।”
-संतोष सिंह, हवलदार

वहां तो पुलिस तक नहीं करती मदद
राजस्थान के भरतपुर में देश के अधिकांश राज्यों की पुलिस रोज पहुंच रही है। भरतपुर के पास 18 गांव का एक पूरा पैच ऑनलाइन ठगी कर रहा है। ये गिरोह फौजी बनकर पुरानी गाड़ी खरीदी-बिक्री का झांसा देकर जाल में फंसाने में माहिर है। यहां की पुलिस भी दूसरे राज्यों की पुलिस की मदद नहीं करती। क्योंकि गांव वाले एंट्री करने वाले रास्ते पर ही हथियार लेकर पहरेदारी करते हैं। रायपुर में जब फौजी बनकर ठगी करने की वारदातें बढ़ी तो हमें इसी गांव का क्लू मिला। टीम पहुंची। लोग लाठी-डांडा लेकर खड़े हो गए। आगे बढ़ने नहीं दिया। यहां अफसरों को हालात की जानकारी दी। उन्होंने राजस्थान के वरिष्ठ अफसरों से संपर्क किया। उसके बाद फोर्स मिली और दो ठगों को पकड़ा गया।