आदिवासी जल वन अधिकार मंच छत्तीसगढ़ की संयोजिका इंदू नेताम एवं एमआईआरए के राजेश रंजन ने संयुक्त रूप से पत्रकारों को बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा प्रस्तावित भूमि सुधार कानून पूर्णतः निजीकरण को बढ़ावा देने वाला और बड़े घरानों को फायदा पहुंचाने वाला है। इससे ना केवल भानुप्रतापपुर क्षेत्र सहित समस्त कांकेर जिला अपितु पूरा प्रदेश प्रभावित होगा। इस कानून के पारित हो जाने के बाद बेलगाम खनन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे प्रकृति तथा प्रकृति के सहारे आजीविका चलाने वालों पर भी गहरा असर पड़ेगा। पर्यावरण के बिगड़ते हालात के बावजूद केवल कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए जा रहे इस कानून से देश को बहुत नुकसान होगा। इन दोनों ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा यह सुधार पूर्णतः गलत तरीके से किया जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार के द्वारा महज 10 दिन एवं उसके बाद कई संगठनों के दबाव के बाद और 7 दिन कुल 17 दिन का समय देकर आम जनता तथा राज्य सरकारों से राय मांगी है, जिसके अंतिम तिथि 10 सितंबर है। प्रख्यात भूगर्भ शास्त्री श्रीधर राम मूर्ति ने बताया कि इस मूलभूत परिवर्तन लाने वाले खनन प्रस्ताव पर अपना मत रखने के लिए इतना कम समय देना सूचना के अधिकार और प्री लेगिस्लेटिव कंसल्टेशन कानून के मूल भावनाओं का घोर उल्लंघन है। इन्होंने सरकार से मांग की है कि वह मौजूदा प्रस्ताव को वापस लें और उसकी जगह जो वर्तमान मांइनिंग कानून में विसंगतिया है उसे दूर कर नया प्रस्ताव तैयार करें तथा इसके लिए आमजन व राज्यों की सलाह लेने हेतू कम से कम 03 महीने का समय दें।