राजनांदगांव। मध्यप्रदेश खनिज विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष कुतबुद्दीन सोलंकी ने कहा कि भारतीय रेल्वे भारत की राष्ट्रीय रेल प्राणी है, जो रेल मंत्रालय द्वारा संचालित है। भारतीय रेल्वे को केन्द्र सरकार सार्वजनिक कल्याण को बढ़ाने के लिये चलाती है।
सोलंकी ने कहा कि भारत में रेल का चलना अंग्रेजों की देन है और दुनिया की सबसे बड़ी रेल सेवाओं में से एक भारतीय रेल्वे 1853 में अपनी स्थापना के समय से सरकार के हाथों में रही है। अब केंद्र सरकार इसमें निजीकरण को भी शामिल कर रही है। वर्तमान में देश में 13 हजार ट्रेनें चल रही है और डिमांड और सप्लाई के बीच समानता लाने करने के लिए 7 हजार ट्रेनें और चलाई जायेगी। सोलंकी ने बताया कि वर्तमान में इन ट्रेनों का रेगुलेशन और मैनेजमेंट भारतीय रेल्वे ही करता है, लेकिन अब मैनेजमेंट का काम निजीकरण के हाथ चला जायेगा। इसी दिशा में कदम उठाते हुए भारत सरकार ने भारतीय रेल्वे के निजीकरण की दिशा में कदम उठाकते हुए 109 रूट पर 151 ट्रेनें चलाने के लिए प्राईवेट कंपनी को आमंत्रित किया है।
सोलंकी ने कहा कि रेल्वे के निजीकरण से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियां खत्म होगी तथा प्राईवेट कंपनी लोगों से ज्यादा काम करवाकर लाभ अधिक कमाना पसंद करेंगे। निजीकरण का सबसे बडा¸ भयंकर प्रभाव रेल्वे के किरायों को बढ़ोत्तरी का होगा, जिसे गरीब एवं मध्यम वर्ग बर्दाश्त नहीं कर पायेगा।
सोलंकी ने आगे कहा कि भारतीय रेल्वे यह निर्णय लेने जा रही है कि रेल्वे स्टेशनों को भी प्राईवेट कंपनी को दी जाये। इस क्रम में सबसे पहले मध्यप्रदेश की भोपाल हबीबगंज स्टेशन तथा जबलपुर की रेलवे स्टेशनों को टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से निजी हाथों में सौंपे जाने की तैयारी चल रही है।
सोलंकी ने आगे कहा है कि इसके अतिरिक्त भारतीय रेल्वे की भारत वर्ष में जो रेल की कालोनियां है उसे भी निजी हाथों में बेचने की तैयारी चल रही है।