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500 करोड़ की अंडर ग्राउंड बिजली योजना को केंद्र से झटका

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में अंडर ग्राउंड बिजली योजना के ड्रीम प्रोजेक्ट को केंद्र से झटका लगा है। प्रस्ताव भेजने के बाद केंद्र के बजट में प्रावधान नहीं होने से अब मायूस बिजली कंपनी राज्य सरकार से उम्मीद लगाए बैठी है। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनी द्वारा रायपुर समेत प्रदेश के चार मुख्य शहरों में लगभग 700 किलो मीटर अंडर ग्राउंड बिजली केबल बिछाने के लिए योजना का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को 2017 में भेजा गया था।

इसमें कंपनी द्वारा योजना के अंतर्गत संभावित चार शहरों को शामिल किया था। इसमें मुख्य रूप से रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई और रायगढ़ हैं। दो साल से अटके इस प्रोजेक्ट में बिजली कंपनी को केंद्र सरकार से इस वर्ष बजट में राशि मिलने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन बजट आने के बाद अब कंपनी की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

चूंकि योजना में इतनी बड़ी राशि कंपनी खुद नहीं लगा सकती, इसलिए अब राज्य के बजट से बिजली कंपनी को उम्मीदें हैं कि इस योजना में से आधे के लिए भी राज्य स्वीकृति दे, ताकि एक योजना से जहां बिजली व्यवस्था में सुधार हो सके। वहीं प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को भी इसका फायदा मिल सके।

इसलिए अटका प्रोजेक्ट

केंद्र ने इस बार पोस्ट और प्री पेड स्मार्ट मीटरिंग, सोलर सिस्टम को पूरे देश में बढ़ावा देने को लेकर फोकस किया है। ऊर्जा के लिए केंद्र में कुल 22 हजार करोड़ रुपये की बजट में सभी राज्यों के लिए लक्ष्य और समय भी निर्धारित किया गया है। वहीं अंडर ग्राउंड प्रोजेक्ट के लिए छत्तीसगढ़ को किसी भी तरह से राशि का प्रावधान नहीं किया गया।

अंडर ग्राउंड केबल योजना से फायदा

छत्तीसगढ़ में कुल 57 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ता हैं। शहरों में बिजली सेवा के विकास के साथ ही केबलों का जाल सा बन गया है। वहीं हवा व अन्य बाधाओं की वजह से आए दिन बिजली के तारों की वजह से बड़े पैमाने पर लाइन लॉस, बिजली मेंटेनेंस में खर्च व दुर्घटनाएं भी बढ़ रही है। इसे देखते हुए कंपनी ने आबादी वाले चुनिंदा शहरों में अंडर ग्राउंड केबलिंग की योजना बनाई थी।

– अंडर ग्राउंड बिजली को लेकर भारत सरकार ने हमसे जानकारी मांगी थी। इसके बाद 700 किमी बिजली लाइन बिछाने के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर 2017 में भेजा था। इसमें इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आइपीडीएस) के तहत प्रोजेक्ट के लिए राशि मिलने की उम्मीद थी। लेकिन अब संभावना नजर नहीं आ रही। – मो. कैसर अब्दुलहक, एमडी, छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी