Home News भारतीय डकैत जिन्होंने चम्बल घाटी को आतंक का पर्याय बना दिया…

भारतीय डकैत जिन्होंने चम्बल घाटी को आतंक का पर्याय बना दिया…

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साधारण बात है कि जब भी डाकू नाम का जिक्र होता है हमारे जहन में चम्बल की घाटिया आ जाती है. क्योकि इसी जगह को डाकूओं का अभ्यारण माना जाता था। इसी जगह पर रहकर वो पूरे भारत में चोरी डकेटी करते थे। चम्बल नदी का क्षेत्र डकैतों के मामले में ऊर्वर रहा है।

इस नदी घाटी के क्षेत्रों में सामन्तवादी व्यवस्था से दमित और आजिज होकर कई लोगों ने बंदूक थाम कर खुद को बागी घोषित कर दिया। ये लोकप्रिय भी होते थे। कई मामलों में इन डकैतों को अपने जाति-समूहों और क्षेत्र के लोगों का समर्थन प्राप्त था।

आज हम आपको चंम्बल नदी के ऐसे डाकूओं के बारे में बताने जा रहे है जिनके नाम से लोगो की रूह कांप जाती थी। सबसे पहले हम बात कर रहे है मान सिंह की.

साल 1935 से 1955 के बीच मान सिंह ने 1, 112 डकैतियों की वारदातों को अंजाम दिया। उसने 182 हत्याएं की, जिनमें 32 पुलिस अधिकारी थे।साल 1955 में सेना के जवानों ने मानसिंह और उसके पुत्र सुबेदार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी।

दूसरे नंबर पर हम बात कर रहे है फुलन देवी की. इसके बारे में कोन नहीं जानता है। इसको लोग बैंडिट क्वीन के नाम से भी जानते थे।

उसने एक रात 22 ठाकुरों की गोली मार कर हत्या कर दी। वर्ष 1983 में फूलन ने समर्पण कर दिया।1996 में फूलन देवी राजनीति से जुड़ गईं। वर्ष 2001 की 25 जुलाई को दिल्ली में तीन लोगों ने उसकी हत्या कर दी।

आगे हम बात कर रहे है पुतली बाई की जो दुनिया की सबसे पहली महिला डाकू बनी थी। पुतली बाई ने एक ही रात 11 लोगों की हत्या कर दी थी और 5 लोगों को बुरी तरह घायल कर दिया। एक मुठभेड़ के दौरान पुतली बाई अपने प्रेमी कल्ला गुर्जर के साथ मारी गई।