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दमन-दीव, दादरा एवं नगर हवेली अब एक ही केंद्र शासित प्रदेश होंगे

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मंगलवार को सरकार ने दो केंद्र शासित प्रदेशों दमन तथा दीव और दादरा एवं नगर हवेली को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए एक ख़ास विधेयक लोकसभा में पेश किया.

देश में मौजूदा समय में नौ केंद्र शासित प्रदेश हैं. ये विधेयक पास होने पर देश में केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या आठ हो जाएगी.

इस विधेयक के अनुसार ये दोनों छोटे प्रदेश हैं जिन्हें एक कर सरकारी कामकाज की दक्षता बढ़ाई जा सकती है. साथ ही नागरिकों को बेहतर सेवाएं दी जा सकती हैं और प्रशासन से संबंधित ख़र्चों में भी कटौती की जा सकती है.

सरकार की एक दलील ये भी है कि दोनों केंद्र शासित प्रदेश एक-दूसरे से मात्र 35 किलोमीटर दूर हैं लेकिन दोनों का अलग-अलग बजट है और अलग-अलग सचिवालय है. दादरा एवं नगर हवेली में मात्र एक, जबकि दमन एवं दीव में दो ज़िले हैं.सर्वे ऑफ़ इंडिया के मानचित्र में दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव

दादरा एंड नगर हवेली

दादरा नगर हवेली 491 किलोमीटर में फैला इलाक़ा है जिसकी उत्तर की तरफ़ गुजरात है और दक्षिण की तरफ़ महाराष्ट्र.

दादरा नगर हवेली में क़रीब 70 गांव हैं और यहाँ की राजधानी सिलवासा है.

1779 में एक तरफ़ मुग़लों के बढ़ते दबाव से निपटने और दूसरी तरफ़ अंग्रेज़ों से लड़ने की कोशिश में मराठाओं ने पुर्तगालियों का हाथ थामा और उन्हें दादरा नगर हवेली से टैक्स एकत्र करने का अधिकार दिया.

दो अगस्त 1954 को दादरा नगर हवेली पुर्तगाली शासकों के शासन से आज़ाद हुई और यहां की जनता ने यहाँ अपना शासन चलाया. बाद में 1961 में इसे एक केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर भारत में शामिल किया गया.

यहाँ का 40 फ़ीसद इलाक़ा जंगलों और पहाड़ों से घिरा है. 2001 में हुई जनगणना के अनुसार यहाँ की आबादी 2.20 लाख है और इसमें 62.24 फ़ीसद हिस्सा आदिवासियों का है.

गुजरात के सह्याद्री पर्वत से निकल कर अरब सागर की तरफ़ बहने वाली दमनगंगा नदी यहाँ सिंचाई का मुख्य स्रोत है.

दमन एंड दीव

दमन और दीव इस केंद्र शासित प्रदेश के दो ज़िलों के नाम हैं. मानचित्र में ये दोनों ज़िले समंदर के दो छोर पर बसे दिखते हैं. जहां दमन गुजरात के दक्षिणी हिस्से में महाराष्ट्र के ठीक ऊपर है वहीं दीव गुजरात मेनलैंड में जूनागढ़ के नज़दीक समंदर से सटा हुआ है. दोनों एक दूसरे से क़रीब 700 कलोमीटर दूर हैं.

दमन और दीव की राजधानी दमन है.

1961 में पुर्तगाली शासन से आज़ाद होने के बाद दमन और दीव गोवा समेत भारत के केंद्र शासित प्रदेश बने.

1987 में गोवा को संपूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया जिसके बाद दमन एंड दीव केंद्र शासित प्रदेश बन गए.

माना जाता है कि मौर्य सम्राट अशोक के दौरान दमन मौर्य साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था. बाद में ये सातकर्णी और फिर सातवाहनों के शासन में था.

क़रीब आठ सदी तक दमन कई हिंदू राजाओं और क़बीलाई राजाओं के शासन में रहा. 1465 में गुजरात के सुल्तान महमूद शाह बेगड़ा ने दमन और पारनेरा के क़िलों पर जीत हासिल की जिसके बाद ये जगह जगतशाह के अधीन आ गई.

गुजरात के सुल्तान के हाथों से पुर्तगाल ने इस जगह को छीना और आख़िर 1559 में 112 वर्ग किलोमीटर के इस इलाक़े को अपने अधीन किया.

वहीं दीव का अस्तित्व भी मौर्य साम्राज्य से जुड़ा है. चंद्रगुप्त मौर्य ने सौराष्ट्र पर क़ब्ज़ा कर पुशगुप्त को इस इलाक़े का दायित्व सौंपा. जूनागढ़ के पास गिरनार से शासन चलाने वाले पुशगुप्त के अधीन दीव भी था.

माना जाता है कि सम्राट अशोक के पोते संप्राति ने सौराष्ट्र पर शासन के दौरान दीव में कई जैन मंदिरों का निर्माण करवाया था.

दीव कभी इंडो-ग्रीक राजाओं के अधीन रहा, कभी हिंदू राजाओं तो कभी मुसलमान राजाओं के अधीन रहा.

1535 में पुर्तगाली गवर्नर नुनो डी कुन्हा ने दीव को गुजरात के सुल्तान से जीतने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहे. इस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह एक तरफ़ हुमायूं के नेतृत्व में मुग़लों के मुक़ाबला कर रहे थे तो दूसरी तरफ़ पुर्तगालियों से. बहादुर शाह ने पुर्तगालियों से हाथ मिलाने में अक़लमंदी समझी और 1535 में दीव में उन्हें क़िला बनाने की अनुमति दे दी.पुर्तगाली गवर्नर नुनो डी कुन्हा

मुग़लों से जीतने के बाद बहादुर शाह को इस बात का अहसास हुआ कि उन्होंने दीव को पुर्तगालियों के क़ब्ज़े में दे दिया है. पुर्गतालियों ने 1546 से लेकर 1961 तक दीव में शासन किया.

दीव 40 वर्ग किलोमीटर में फैला इलाक़ा है जिसकी आबादी क़रीब 52 हज़ार है.