Home News देश के 22 राज्यों में लहलहाएंगे लीलाराम के दो फीट वाला बैगन…

देश के 22 राज्यों में लहलहाएंगे लीलाराम के दो फीट वाला बैगन…

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बीज को वर्षों से संरक्षित कर ढाई फीट का बैगन उत्पादन करने वाले कुरूद ब्लॉक के ग्राम धूमा निवासी किसान लीलाराम साहू को पौध किस्म कृषक संरक्षण राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। अब उनके द्वारा संरक्षित दो फीट वाले बैगन की खेती छत्तीसगढ़ समेत देश के 22 राज्यों के किसान करेंगे। इस उपलब्धि का श्रेय किसान लीलाराम ने अपने पूर्वजों को दिया है, जिन्होंने उन्हें इस लायक बनाया।

कक्षा आठवीं तक पढ़े किसान लीलाराम साहू ने बताया कि उनके पूर्वज सालों से बैगन की खेती करते आ रहे थे। वह भी उन्हीं की तर्ज पर सिर्फ आधा एकड़ में बैगन की खेती सालों से कर रहे हैं। हर साल वह अपनी बाड़ी में उत्पादित सबसे बड़े बैगन को संरक्षति करते हैं। एक समय आया कि इस संरक्षित बीज से दो फीट लंबाई वाले बैगन का उत्पादन हुआ। तब इस उत्पादित बैगन की सब्जी के बीजों को सुरक्षित रखा। उनके पास कुल साढ़े सात एकड़ जमीन है, लेकिन वे सिर्फ बैगन की खेती आधा एकड़ पर करते हैं, ताकि वह विलुप्त हो रहे छत्तीसगढ़ के सिंघी बैगन की प्रजाति को संरक्षित रख सके। बैगन के इस प्रजाति को सालों से संरक्षति करने और ढाई फीट लंबाई वाले बैगन तैयार करने के लिए इस नवाचारी किसान को पौध किस्म कृषक संरक्षण पुरस्कार दिया गया है। इसे अंग्रेजी में पादप जीनोम सेवयिर पुरस्कार के नाम से भी जाना जाता हैं, उनके द्वारा संरक्षति बैंगन के बीज अब निरंजन बैगन के नाम से भी जाना जाएगा। उनके द्वारा उत्पादित बीज प्रदेश के सभी जिलों के अलावा देश के 22 राज्यों में बांटा गया है। अब इस किस्म के सिंघी बैंगन की खेती बिहार, तमिलनाडु, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, केरल, कनार्टक आदि राज्यों के किसान भी करेंगे। मालूम हो कि नई दिल्ली में पादप जीनोम सेवियर पुरस्कार समारोह का आयोजन हुआ, जहां केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर ने नवाचारी किसान लीलाराम साहू को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।

छत्तीसगढ़ से सम्मानित होने वाले वे इकलौते किसान हैं। कार्यक्रम में अन्य प्रदेशों के किसानों को भी सम्मानित किया गया।

देसी सिंघीभाठा का बीज बांट रहे

आत्मा प्रोजेक्ट कृषि अधिकारी एफएल पटेल ने बताया कि आत्मा योजना के तहत विभिन्न फसलों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम किया जा रहा है। इसी के तहत किसान लीलाराम साहू के उत्पादित सिंघीभाठा को भी टार्गेट किया गया था। कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र सहित अन्य कृषि आधारित कार्यक्रमों में शामिल होकर वे किसानों को पांच-पांच ग्राम के देसी सिंघीभाठा का बीज बांट रहे हैं। ताकि अन्य किसान उनके बीज की खेती कर बेहतर उत्पादन कर सके।