Home News अपना मकान तो मिला, पर नहीं मिल सकी आवश्यक सुविधाएं…

अपना मकान तो मिला, पर नहीं मिल सकी आवश्यक सुविधाएं…

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झोपड़पट्टी की तंग जिंदगी से निकाल स्लम की जगह पक्के मकानों में निर्धन वर्ग को बसाने अटल आवासों की परिकल्पना की गई थी। कुछ ऐसी स्थिति जेंजरा स्थित अटल आवासों की भी है। करीब एक दशक पहले निर्मित कॉलोनी में आज भी सड़क का निर्माण नहीं किया गया है। कच्ची दीवारें पक्की तो हो गईं, लेकिन इन पक्के मकानों से सुविधाएं आज भी कोसों दूर हैं। इस कारण बड़ी संख्या में मकान अब भी खाली ही पड़े हैं। जिंदगी बसर करने के लिए जरूरी संसाधनों के अभाव के चलते कई लोग लेकर भी वहां रहने से कतरा रहे, जिससे यहां के मकान धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रहे हैं।

नगरीय क्षेत्रों में बीपीएल की श्रेणी में आने वाले निर्धन वर्ग के परिवारों के लिए सस्ते दर पर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने अटल आवास योजना शुरू की गई थी। औद्योगिक जिला होने के कारण शहर में तेजी से अनियमित बसाहट का विस्तार हो रहा। स्लम के निरंतर विस्तार पर नियंत्रण के साथ इस वर्ग को आवासीय समस्या से राहत दिलाने के शासन ने वाम्बे और अटल आवास का निर्माण किया था। अटल आवास के नाम पर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कॉलोनियां तो बना दी गई, पर मूलभूत सुविधाओं को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई। ज्यादातर अटल आवास कॉलोनियों की स्थिति बदहाल है, जहां आज भी न तो पीने का शुद्ध पानी ही मिल पाता है और न ही वहां की सड़कों को सुधारा जा सका है। एक दशक पहले जैसा निर्माण किया गया, अब भी वही स्थिति कटघोरा से लगे जेंजरा अटल आवासों का भी है। सड़क-पानी के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण यहां के लोग अभावों के बीच रहने मजबूर हैं।

कई कॉलोनी में वर्षों तक बिजली के कनेक्शन भी नहीं पहुंचे थे, जिससे वहां रह रहे लोगों को हुकिंग कर अपनी जरूरत पूरी करते पाया गया। सुविधा व संसाधनों की कमी के कारण आवासीय परिसर वर्षों बाद भी वीरान नजर आते हैं। मूलभूत सुविधाएं नहीं दिए जाने के कारण हितग्राहियों ने भी हाथ खींचते हुए आवासों का बकाया भुगतान जमा नहीं किया। आलम यह है कि बार-बार शिकायत के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो समस्याओं से निपटने यहां रह रहे लोगों को चंदा करके समाधान निकालना पड़ रहा। जेंजरा में एकमात्र बोर की सुविधा है, जिससे सभी पीने का पानी भरते हैं। इसके बिगड़ने पर लोगों को खुद चंदा कर सुधार कराने मजबूर होना पड़ता है।

126 मकान बने पर 50 में सजा आशियाना

जेंजरा की कॉलोनी में कुल 126 मकान बनाए गए थे। इनमें से अब तक मात्र 50 मकानों में ही लोगों ने आकर रहना शुरू किया है और शेष मकान अब भी वीरान पड़े हैं। मकान लगातार कई साल से खाली होने के कारण देखरेख के अभाव में वे एक-एक कर टूट रहे, जिन्हें लेने वाला भी कोई नहीं। जिले की बात करें तो अब तक की स्थिति में नगर निगम से लेकर कटघोरा व अन्य क्षेत्रों में वाम्बे व अटल आवास समेत करीब 3 हजार 500 सस्ते मकानों का निर्माण किया गया है। यहां के लोग आज भी सुविधाओं के बगैर रहने मजबूर हो रहे हैं। नियमित सफाई नहीं होने के कारण कहीं कचरे का अंबार दिखाई देता है, तो कई कॉलोनी में बरसात के वक्त गंदा पानी जमा हो जाता है।

खुद रहने की बजाय दे दिया किराए पर

निगम क्षेत्र में बने वाल्मीकि अंबेडकर आवासों में पहले भी हितग्राहियों के स्थान पर किराएदारों के रहने की शिकायतें सामने आती रहीं हैं। मकान लेकर भी सुविधाएं नहीं मिलने के कारण हितग्राही अब भी स्लम बस्तियों में रह रहे और योजना के मकानों पर किराए पर चढ़ा दिया गया है। कुछ ऐसी ही स्थिति जेंजरा के अटल आवास कॉलोनी की भी दिख रही है, जहां 126 मकानों के विपरीत मात्र 50 मकान ही भरे हैं। इनमें भी बड़ी संख्या में लोग किराए पर रह रहे हैं। वर्षों तक बिजली और अब तक सड़क और पानी की सुविधा का अभाव ही अहम कारण है, जो लोग यहां जाकर अपने ही मकान में रहने से कतरा रहे हैं। खाली मकानों में रात के वक्त असामाजिक तत्व भी सक्रिय रहते हैं।