Home News नहीं पहुंची पुलिस, नक्सल पीड़ितों ने भी बंद कर रखी है जुबां…

नहीं पहुंची पुलिस, नक्सल पीड़ितों ने भी बंद कर रखी है जुबां…

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 नक्सलियों के कब्जे से छूटकर गांव लौटने के बाद भी गुमियापाल के ग्रामीणों पर नक्सली फरमान और प्रताड़ना का असर साफ नजर आ रहा है। घर लौटने के 24 घंटे बाद भी वे खामोश हैं। किसी से कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। पुलिस और बाहरी लोगों की बात छोड़ दें, वे पड़ोसी तक से चर्चा नहीं कर रहे हैं।

मीडिया के सामने भी पीड़ित और उनके परिजन नहीं आना चाहते। यहां तक कि अपने ही लोगों के हाथों में मोबाइल देखकर भाग खड़े हो रहे हैं। वहीं मंगलवार की रात तक पुलिस गुमियापाल नहीं पहुंची है, जबकि एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने फोर्स भेजने की बात कही थी।

किरंदुल थाना और माइनिंग एरिया गुमियापाल की एक युवती और पांच अन्य ग्रामीणों को नक्सलियों ने 14 अगस्त को अगवा कर लिया था। जिन्हें बेरहमी से पीटने के बाद सोमवार की शाम छोड़ दिया था। ये ग्रामीण गांव लौटे तो अब घर से बाहर निकलना बंद कर दिए हैं। इलाज तक नहीं करा रहे हैं।

संभावना थी कि फोर्स गांव जाएगी या पीड़ित खुद थाने व हॉस्पिटल पहुंचेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दोपहर को स्थानीय मीडिया गांव जाना चाह रही थी, तो उसे भी रोक दिया गया। बावजूद कुछ लोग गांव पहुंचे तो वहां उन्हें देखकर सभी खामोश हो गए। फोटोग्राफी और बातचीत करने स्पष्ट मना कर दिया।

दो को गांव छोड़ने का फरमान

सूत्रों के मुताबिक मारपीट में जख्मी ग्रामीणों को नक्सलियों ने सरकारी दवाओं की जगह जड़ी-बूटी से उपचार कराने को कहा है। छूटे दो ग्रामीणों को गांव से बेदखल करने की बात भी कही है, लेकिन ये दो ग्रामीण कौन हैं और कब इन्हें गांव छोड़ना होगा, इसका खुलासा नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि अपहृत युवती किरण और कुछ दिन पहले आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली मंगू के भाई हुंगा के नाम यह फरमान जारी हुआ है।