सुकमा. भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है रक्षाबंधन. इस दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधती है और वचन लेती है कि भाई उनकी जीवन भर रक्षा करेगा और उनका ख्याल रखेगा. लेकिन इसी के ठीक विपरीत छत्तीसगढ़ में देखने को मिली. जहां भाई तो पुलिसकर्मी है लेकिन उसकी बहन नक्सली.
बस्तर संभाग के सुकमा जिले में रक्षाबंधन के दिन एक भाई की कलाई सुनी रह जाएगी. भाई का नाम वेट्टी रामा है, जो नक्सल विचारधारा और हिंसा से मुख मोड़कर विकास की मुख्यधारा से जुड़ गया है लेकिन उसकी बहन अभी भी नक्सलियों का साथ दे रही है.
सुकमा पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने बुधवार को हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि, आत्मसमर्पित नक्सली वेट्टी रामा नक्सलियों का साथ छोड़कर मुख्यधारा में जुड़ गए हैं और पुलिस में सहायक आरक्षक के रूप में तैनात हैं. रामा ने कई बार अपनी बहन को भी नक्सल गतिविधियों का रास्ता छोड़ने के लिए पत्र लिखे लेकिन फिर भी कोई सफलता नहीं मिल सकी.
रामा ने कहा कि इस बार रक्षाबंधन के तोहफे के रूप में उन्होंने अपनी बहन से इस गलत रास्ते को छोड़कर वापस आने की मांग की है. रामा ने कहा, ‘भले ही मेरी बहन रक्षा बंधन की त्योहार को मनाने में विश्वास ना रखती हो, लेकिन मुझे उम्मीद है कि वह मेरी गुजारिश को इस बार जरूर स्वीकार करेगी.’
उल्लेखनीय है कि, भाई वेट्टी रामा और बहन वेट्टी कन्नी सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित गगनपल्ली गांव के रहने वाले हैं. वेट्टी रामा उस दिन को याद कर सिहर उठता है, जब नक्सली गांव में आए और दोनों भाई-बहनों को अपने साथ ले गए. बाद में उन्हें अपने संगठन में बाल नक्सली के रूप में शामिल कर लिया था. इसी संगठन में रह कर दोनों बड़े हुए. हालांकि, वेट्टी रामा को अक्सर यह महसूस होता था कि नक्सलियों की विचारधारा पूरी तरह खोखली है. धीरे धीरे संगठन से उसका मोह भंग हो गया और 13 अक्टूबर 2018 को हथियार सहित पुलिस को आत्मसमर्पण कर दिया था और तब से ही वह पुलिस और सीआरपीएफ के साथ नक्सल विरोधी अभियानों में काम कर रहे हैं. रामा ने करीब 23 साल नक्सली संगठन के लिए काम किया था.
सुकमा पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने आगे बताया कि, 29 जुलाई 2019 में कोंटा इलाके के बालेतोंग में मुड़भेड़ में वेट्टी रामा और उसकी बहन वेट्टी कन्नी का आमना-सामना हुआ था. हालांकि, फायरिंग की आड़ में वेट्टी कन्नी बच निकली थी. श्री सिन्हा के मुताबिक वेट्टी रामा का कहना है कि, वह बहन वेट्टी कन्नी को पत्र लिखकर नक्सल संगठन छोड़ने की गुहार लगा चुके हैं लेकिन वह मुझे भाई नहीं गद्दार कहती है.