झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में अंधविश्वास का खेल बेरोक-टोक जारी है. यहां वार्डों में ओझा-गुणी की टीम ऐसे राउंड लगाती है, मानो यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर राउंड लगा रहे हों. रिम्स में हर दिन ओझा व तांत्रिक आकर मरीजों के इलाज के नाम पर उनके परिजनों को बेवकूफ बनाते हैं. इन्हें न तो कानून का खौफ होता है और न रिम्स प्रबंधन का. अस्पताल के सुरक्षाकर्मी से लेकर नर्स, वार्ड बॉय या फिर जूनियर डॉक्टर्स सब इससे वाकिफ हैं, लेकिन कोई कुछ कहता नहीं है.
शिशु वार्ड में ओझा ने लगाया चक्कर
रिम्स में ज्यादातर ग्रामीण इलाके से पहुंचे मरीज इन ओझा- बाबा के चक्कर में आ जाते हैं. जबकि हर तरह की बीमारी का इलाज करने का दावा करने वाले ओझा यहां एक कॉल पर उपलब्ध होते हैं. रविवार को रिम्स के शिशु रोग विभाग में एक बाबा ने घूम- घूम कर बच्चों को देखा. इस दौरान कई बच्चे के परिजनों को बोकारो के गोमो स्थित अपने कुटिया में लाने की सलाह दी. ऐसा नहीं करने पर बच्चों की जान जाने की भी चेतावनी दी. इस दौरान ओझा ने कई बच्चों को दवाएं भी दीं और बदले में 500 से लेकर 4000 रुपये तक ऐंठ लिये.

शिशु विभाग में अंधविश्वास का यह खेल घंटों चलता रहा, लेकिन किसी ने ओझा को रोका नहीं. शिशु विभाग में भर्ती 15 साल के धनंजय सिंह को देखकर ओझा उसके परिजन पर भड़क गये. धनंजय को किडनी की परेशानी है. इस वजह से वह आईसीयू में भर्ती है. वह कोमा में है और उसका डायलिसिस किया जाना है. ओझा ने यह जानकर उसके परिजनों को कहा कि यह ऐसे ठीक नहीं होगा. धीरे-धीरे वह परिजनों को अपनी बातों में फंसाने लगा. कहने लगा कि हम भी रिम्स के ही डॉक्टर हैं. रिम्स में ही मरीजों का इलाज करते हैं. जो डॉक्टरों से ठीक नहीं होता है, उस केस को हम भस्म से ठीक करते हैं.
एक सप्ताह पहले सांप कांटने के बाद एक मरीज रिम्स पहुंचा था. मरीज की स्थिति काफी गंभीर थी. कुछ ही देर में एक ओझा वहां आकर खुद को डॉक्टर सावन बताने लगा. देखते ही देखते उसने झाड़- फूंक शुरू कर दिया. कुछ समय में वहां भीड़ जमा हो गई और ओझा को सुरक्षाकर्मियों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. बाद में उसे थाने से छोड़ दिया गया. रिम्स के अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप ने इस तरह की बात को गलत बताते हुए कहा कि यह सुरक्षाकर्मी से लेकर वार्ड में काम करने वाली नर्स, वार्ड ब्वॉय और जूनियर डॉक्टर्स की भी जवाबदेही है कि अस्पताल में किसी तरह का अंधविश्वास न होने दें. अस्पताल में इलाज के नाम पर परिजनों से पैसे की वसूली अपराध है. अधीक्षक ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी. ओझा- गुणियों के रिम्स में प्रवेश पर रोक लगाया जाएगा.