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“वंदे मातरम के रचयिता क्या भारत के पहले ग्रेजुएट थे, जानें उनकी पूरी एजुकेशन स्टोरी”

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में वंदे मातरम् की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा बन गया था.

भारतीय के मन में देशभक्ति का संकल्प भरने वाला मंत्र था, जिसने अंग्रेजी सत्ता को खुली चुनौती दी. इस महान गीत की रचना प्रसिद्ध साहित्यकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी. उनके जीवन और साहित्यिक योगदान ने भारतीय राष्ट्रवाद को नई दिशा दी. आइए जानते हैं बंकिम चंद्र चटोपाध्याय क्या भारत के पहले ग्रेजुएट थे.

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जून 1838 को बंगाल के कंथालपाड़ा गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता सरकारी अधिकारी थे और बाद में मिदनापुर के उप-कलेक्टर बने. बचपन से ही बंकिम चंद्र पढ़ाई में होशियार थे और उन्हें पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था. उन्हें संस्कृत भाषा से विशेष प्रेम था. स्कूल में एक बार अंग्रेजी ठीक से न बोल पाने पर शिक्षक द्वारा मार पड़ने के कारण उनकी अंग्रेजी से दूरी बन गई, लेकिन उन्होंने शिक्षा में कभी हार नहीं मानी.

वंदे मातरम के रचयिता क्या भारत के पहले ग्रेजुएट थे?

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की स्कूल शिक्षा मिदनापुर के सरकारी स्कूल से पूरी हुई. इसके बाद उन्होंने हुगली मोहसिन कॉलेज से आगे की पढ़ाई. तो वहीं कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से उन्होंने साल 1857 में बीए की डिग्री प्राप्त की. उनके बैच को भारत का पहला ग्रेजुएशन बैच भी कहा जाता है. तो वहीं उन्हें भारत का पहला ग्रेजुएट माना जाता है. असल में अंग्रेजो की तरफ से देश में ग्रेजुएशन सिस्टम की शुरुआत कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से की हुई थी. बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय इसके बैच पहले में थे तो वहीं दूसरे छात्र जदुनाथ बोस थे. पढ़ाई पूरी करने के बाद पहले बंकिम को ही ग्रेजुएशन की डिग्री प्रदान दी गई थी. ऐसे में उन्हें भारत का पहला ग्रेजुएट कहा जाता है.

साहित्यिक योगदान

बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने साहित्य के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया. उनकी पहली अंग्रेजी रचना राजमोहन की वाइफ थी. इसके बाद उन्होंने 1865 में बंगला भाषा में पहला उपन्यास दुर्गेशनंदिनी लिखा. कपालकुंडला, विषवृक्ष, कृष्णकांत का वसीयतनामा, आनंदमठ और सीताराम जैसे उपन्यासों ने उन्हें अमर बना दिया.

वंदे मातरम् की रचना

बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की सबसे प्रसिद्ध रचना आनंदमठ मानी जाती है. इसी उपन्यास में उन्होंने पहली बार वंदे मातरम् गीत की रचना की थी. यह गीत आगे चलकर स्वतंत्रता आंदोलन का प्रेरणास्रोत बना और वर्ष 1937 में इसे भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया.

शादी कब हुई?

बंकिम चंद्र की शादी बहुत छोटी उम्र में हो गई थी. पहली पत्नी का निधन कम उम्र में ही हो गया. बाद में उन्होंने राजलक्ष्मी देवी से दूसरी शादी की, जिनसे उन्हें तीन बेटियां हुईं. 55 वर्ष की आयु में रिटायर होने के बाद 8 अप्रैल 1894 को कोलकाता में उनका निधन हो गया. उनका जीवन आज भी देशभक्ति और साहित्य के लिए प्रेरणा है.