बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आज घोषित होने वाले हैं और सभी की निगाह खासकर मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर लगी है. बिहार में लगभग 18 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, इस लिहाज से कम से कम 44 मुस्लिम विधायक होना चाहिए.
हालांकि, 1951 से लेकर अब तक इतने संख्या में मुस्लिम विधायक कभी जीतकर नहीं आए हैं. इस बार देखना होगा कि कितने मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा में जगह बनाने में सफल होंगे.
मुस्लिम उम्मीदवारों की क्या है स्थिति?
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन दोनों ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया है. तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 30 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जबकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए ने 5 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में खड़े किए हैं. इस तरह अररिया, जोकीहाट, बहादुरगंज और अमौर जैसी सीटों पर सीधे मुस्लिम उम्मीदवारों की टक्कर हो रही है.
बिहार में मुस्लिम प्रतिनिधित्व का इतिहास
बिहार में मुस्लिम प्रतिनिधित्व का इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है. 1985 के चुनाव में सबसे अधिक 34 मुस्लिम विधायक चुने गए थे, लेकिन उस समय संयुक्त बिहार की कुल 324 सीटों पर चुनाव हुआ था. इसके विपरीत, 2005 में सबसे कम 16 मुस्लिम विधायक ही जीत सके.
बिहार की 243 सीटों वाले 2020 के चुनाव में कुल 19 मुस्लिम विधायक चुनकर आए थे, जिनमें आरजेडी से 8, कांग्रेस से 4, एआईएमआईएम से 5, सीपीआई माले से 1 और बसपा से 1 विधायक शामिल थे.
इतिहास को देखें तो 1951-52 के पहले विधानसभा चुनाव में 24 मुस्लिम विधायक बने थे. इसके बाद 1957 में 25, 1962 में 21, 1967 में 18, 1969 में 19, 1972 और 1977 में 25-25, 1980 में 28, 1985 में 34 विधायक बने थे.



