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“बैंक लोन फर्जीवाड़ा केस में अनिल अंबानी की और बढ़ीं मुश्किलें, 14 नवंबर को पेशी का ED ने भेजा समन”

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बैंक लोन फर्जीवाड़ा मामले में रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी की परेशानियां और बढ़ गई हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी को अगले हफ्ते फिर से पूछताछ के लिए पेश होने का नोटिस भेजा है.

ईडी ने 66 वर्षीय उद्योगपति को 14 नवंबर को एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा है. उनसे यह पूछताछ एसबीआई बैंक लोन फर्जीवाड़ा केस में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर की जाएगी.

ईडी  ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर से जुड़े फर्जी बैंक गारंटी रैकेट की जांच तेज कर दी है. जांच में सामने आया है कि कंपनी ने सरकारी प्रोजेक्ट SECI के लिए टेंडर भरा था, जिसमें बैंक गारंटी देना जरूरी था. इसके लिए रिलायंस पावर ने ओडिशा की (BTPL) नाम की कंपनी को यह काम सौंपा था.

जांच में पाया गया कि BTPL ने जो बैंक गारंटी दी, वह नकली थी, और इसके बदले रिलायंस पावर ने BTPL को करीब 5.4 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. इस फर्जीवाड़े में शामिल लोगों ने SBI की असली वेबसाइट (sbi.co.in) की नकल करते हुए s-bi.co.in नाम से नकली डोमेन बनाया. इसके जरिए फर्जी ईमेल भेजे गए, ताकि ऐसा लगे कि बैंक गारंटी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने जारी की है.

ईडी ने BTPL के मैनेजिंग डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार कर लिया है. जांच में पता चला कि BTPL सिर्फ कागजों पर बनी कंपनी है- न इसका कोई असली दफ्तर मिला और न ही दस्तावेज. कंपनी के कई गुप्त बैंक खातों में करोड़ों रुपये के संदिग्ध ट्रांजैक्शन पाए गए. रैकेट से जुड़े लोग Telegram ऐप पर disappearing messages का इस्तेमाल करते थे ताकि सबूत मिटाए जा सकें.

अब ईडी यह जांच रही है कि- 5.4 करोड़ रुपये का भुगतान BTPL को किसने और क्यों मंजूर किया?

  • क्या अनिल अंबानी को इस फर्जीवाड़े की जानकारी थी?
  • फर्जी बैंक गारंटी से किसे फायदा हुआ?
  • पैसे का ट्रांसफर किन चैनलों और लोगों के जरिए हुआ?

चूंकि यह मामला सीधे रिलायंस पावर और उसकी सहयोगी कंपनियों से जुड़ा है, इसलिए ईडी ने अनिल अंबानी को पूछताछ के लिए बुलाया है ताकि उनकी भूमिका स्पष्ट हो सके।

रैकेट का बड़ा खुलासा — 68.2 करोड़ रुपये की फर्जी गारंटी

ईडी को जांच में यह भी पता चला कि Reliance NU BESS Limited और Maharashtra Energy Generation Ltd, जो अनिल अंबानी समूह की कंपनियां हैं, ने भी SECI को 68.2 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी जमा करवाई थी. इस मामले के बाद ईडी ने अनिल अंबानी ग्रुप के पुराने फाइनेंशियल फ्रॉड मामलों की भी दोबारा जांच शुरू कर दी है.

Reliance Communications Ltd (RCom) पर ₹14,000 करोड़ के लोन फ्रॉड का आरोप. Canara Bank से 1,050 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का केस दर्ज.

सरकार ने संसद में बताया था कि SBI ने RCom को ‘फ्रॉड अकाउंट’ घोषित किया है, और CBI को शिकायत भेजने की तैयारी हो रही है. कुल मिलाकर, यह मामला सिर्फ एक फर्जी बैंक गारंटी तक सीमित नहीं है- यह रिलायंस ग्रुप की वित्तीय पारदर्शिता और प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है.