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‘निपटो-निपटाओ का खेल’.. इसलिए कांग्रेस हुई डिरेल? क्या बृहस्पत का हालिया बयान पार्टी में वापसी की छटपटाहट है या फिर कांग्रेस का कड़वा सच?

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रायपुरः 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता में बैठी कांग्रेस की करारी हार हुई। दो साल बीत गए पार्टी अब विपक्ष में है और दावा है कि अगले चुनाव में जनता कांग्रेस को जिताना चाहती है यानि कायदे से कांग्रेस को 2028 में जीत के लिए कमर कस के तैयार होना है, लेकिन इस अब भी कांग्रेस में बहस इस बात पर छिड़ी है कि 2023 में पार्टी क्यों हारी थी, हार का जिम्मेदार कौन है। कांग्रेस से निष्कासित चल रहे पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह ने कांग्रेस की हार के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सीनियर नेताओं की CM रेस को हार का कारण बताया। जाहिर है इस बयान से पार्टी के भीतर बयानों की आग लग गई है। बीजेपी इन हालत पर चुटकी लेने का मौका नहीं छोड़ रही है। बृहस्पत के बयान की क्या है सच्चाई?

पूर्व कांग्रेसी विधायक बृहस्पत सिंह ने एक बार फिर अपने बेबाक बयान से कांग्रेस के भीतर खलबली मचा दी है। बृहस्पत ने बताया कि राहुल गांधी ने छग के ट्राइबल नेताओं को दिल्ली बुलाकर पूछा कि हम सत्ता में क्यों नहीं आ रहे तो जवाब में मैने कहा कि छग कांग्रेस के भीतर निपटो-निपटाओ का खेल बंद हो जाये तो कांग्रेस तुरंत सत्ता में वापस आ जाएगी। बृहस्पत ने पूर्व डिप्टी CM नाम लेते हुए कहा कि सभी वरिष्ठ नेता CM बनना चाहते हैं। सरगुजा महाराज टीएस अच्छे नेता हैं, लेकिन वो सरगुजा से ऊपर सोच नहीं पाए। बृहस्पत की बात का जवाब दिया खुद TS सिंहदेव ने बाबा याद दिलाया कि बृहस्पत सिंह ने उनपर हत्या कराने जैसा गंभीर आरोप लगाया था और अब वो फिर कांग्रेस में वापसी चाहते हैं। सिंहदेव ने तंज कसते हुए कहा कि कम से कम मुझे उन्होंने मुझे अच्छा नेता तो कहा।

मामले पर PCC चीफ दीपक बैज ने बृहस्पत सिंह को वरिष्ठ नेता बताते हुए उनके बयान से किनारा करते हुए कहा कि निपटो निपटाओ का खेल कांग्रेस नहीं बीजेपी में जारी है। वहीं, बीजेपी बृहस्पत के बयान पर चुटकी लेते हुए उन्हें और कांग्रेस दोनों को नसीहत देती नजर आई। इन बयानों से इतना तो साफ है कि कांग्रेस पार्टी में आलाकमान से लेकर प्रदेश के नेताओं तक 2023 में पार्टी की हार स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। अब भी हार के जिम्मेदार ढूंढे जा रहे हैं। सवाल ये है कि क्या बृहस्पत का हालिया बयान पार्टी में वापसी की छटपटाहट है या फिर कांग्रेस का कड़वा सच?