भारत के शेयर बाजार की स्थिति इस वक्त किसी शांत समुद्र की तरह नजर आ रही है. ऊपर से स्थिर, भीतर से बेचैन. तेल की कीमतें 65-66 डॉलर पर थमी हैं, रुपया 88 के आसपास टिका है, ब्याज दरें भी स्थिर हैं, लेकिन निवेशक अब भी असमंजस में हैं.
ज्योतिष की गणना से कारण जानने की कोशिश करते हैं तो ग्रहों की चाल में बाजार में बड़ी हलचल शुरू होने के संकेत दिखाई देते हैं. अब प्रश्न उठता है कि क्या आने वाले हफ्तों में बाजार की पूरी तस्वीर बदल सकती है? आइए जानते हैं.
भीतर ही भीतर उठ रहा है कोई तुफान!
मैदिनी ज्योतिष यानी वह विद्या जो देश, जनता और अर्थव्यवस्था की चाल को ग्रहों के संकेतों से जोड़ती है, इसके अनुसार जब शुक्र नीच, गुरु उच्च और शनि वक्री हों तो बाजार में अस्थिरता और अवसर दोनों साथ जन्म लेते हैं. अक्टूबर 2025 में ठीक यही स्थिति बन रही है. ऊपर से सब कुछ ठीक, पर अंदर से बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं.
शुक्रे नीचस्थे व्यये वृध्दिः
9 से 12 अक्टूबर 2025 के बीच शुक्र कन्या राशि में नीचस्थ हो रहा है. यह वही ग्रह है जो सौंदर्य, वैभव और खर्च का प्रतीक है. जब शुक्र अपनी कमजोर स्थिति में आता है, तो उपभोक्ता की स्थिति कमजोर पड़ने लगती है. फलदीपिका में कहा गया है कि शुक्रे नीचस्थे व्यये वृध्दिः, अर्थक्षये नृपानाम्.
यानी जब शुक्र नीच होता है, तब खर्च बढ़ता है, पर लाभ घटता है. इस समय लक्ज़री, ऑटो और फैशन सेक्टर पर दबाव देखने को मिल सकता है. वहीं स्वास्थ्य, फार्मा और एफएमसीजी जैसे डिफेंसिव सेक्टर निवेशकों को राहत मिल सकती है.
भरोसा और जोखिम साथ-साथ
18 से 22 अक्टूबर 2025 के बीच गुरु कर्क राशि में उच्च होगा. यह वही ग्रह है जो समृद्धि, ज्ञान और विस्तार का स्वामी माना गया है. बृहद् पराशर होरा शास्त्र में लिखा है कि गुरुः स्वोच्चस्थे वित्तं वर्धयेत्.
यानी जब गुरु उच्च होता है, तो धन का प्रवाह बढ़ता है और आत्मविश्वास लौटता है.
बैंकिंग, कैपिटल गुड्स, इंफ्रास्ट्रक्चर और फाइनेंस सेक्टर में यह ग्रह नई जान फूंक सकता है. पर याद रखें, जब भरोसा लौटता है, तब लालच भी बढ़ता है और यही वह बिंदु है जहां निवेशक गलती करते हैं.
अफवाहों और उलटफेर का समय
24 से 29 अक्टूबर के बीच बुध तुला से निकलकर वृश्चिक में प्रवेश करेगा. यह ग्रह संवाद और निर्णय का स्वामी है. भविष्य पुराण कहता है – ‘बुधो वृश्चिके भ्रमो व्यापारे.’ इसका मतलब है कि जब बुध वृश्चिक में होता है, तो व्यापार भ्रम और अफवाहों से प्रभावित होता है. इस दौरान IT, टेक और मीडिया सेक्टर में तीखी प्रतिक्रियाएं दिख सकती हैं. एक छोटी-सी खबर या मैनेजमेंट का बयान भी शेयरों को झुला सकता है. जो लोग बिना सोचे रिएक्ट करेंगे, वे फँसेंगे.
मंगल वृश्चिक में आते ही बाजार में तेजी, टकराव एक साथ!
27 अक्टूबर से मंगल अपनी ही राशि वृश्चिक में आ रहा है. यह ग्रह ऊर्जा, साहस और क्रियाशीलता का प्रतीक है. बृहत्त संहिता में लिखा है कि मंगलो धात्वादिषु मूल्यवृद्धिकरः.
यानी जब मंगल प्रबल हो, तब धातु, तेल और युद्ध-संबंधी वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं.
इसका सीधा अर्थ है मेटल, डिफेन्स और एनर्जी सेक्टर में भारी हलचल देखने को मिल सकती है. तेज़ी के साथ-साथ अचानक गिरावटें भी होंगी. यह वह दौर है जहां लाभ और नुकसान दोनों पलक झपकते तय होंगे.
बाजार में बदलाव की बयार
27 नवंबर 2025 तक शनि मीन राशि में वक्री रहेंगे. शनि देव व्यवस्था और अनुशासन के प्रतीक हैं. वाराह संहिता कहती है कि <strong>वक्री शनि नृणां कर्मविलम्बं ददाति.
यानी जब शनि वक्री होता है, तब कामों में देरी और भ्रम बढ़ता है. इसका असर सरकारी, PSU और पॉलिसी-ड्रिवन सेक्टर में दिखेगा. कोई बड़ा सुधार फिलहाल नहीं, लेकिन जब 27 नवंबर को शनि मार्गी होंगे, तो नीति-निर्णयों में स्पष्टता लौटेगी और बाजार को नया संतुलन मिलेगा.
ग्रहों की भाषा से समझें बाजार का मनोविज्ञान
बृहत्त संहिता के मूल्याध्याय में वराहमिहिर ने लिखा कि धन और वस्तुओं के मूल्य ग्रहों की गति से घटते-बढ़ते हैं. सरावली ग्रंथ में बुध को व्यापार और बुद्धि का कारक बताया गया है, जबकि भविष्य पुराण में गुरु को विस्तार और शुक्र को विलासिता का प्रतीक कहा गया है. आज की तारीख में ये तीनों ही मुख्य ग्रह असंतुलन की स्थिति में हैं शुक्र नीच है, गुरु उच्च है और बुध संक्रमण में, यानी बाजार की चाल एक ही दिशा में नहीं, बल्कि दो विपरीत धाराओं में बंटी हुई है.
बाजार में कौन टिका रहेगा?
इस समय निवेशक वही गलती कर सकते हैं जो इतिहास में कई बार हुई – भरोसे को लालच समझ लेना. गुरु के उच्च होने से विश्वास लौटेगा, लेकिन शुक्र की कमजोरी और बुध की उलझन यह दिखाएगी कि हर उछाल स्थायी नहीं है. केवल वही टिकेगा जिसने ठहराव और धैर्य को चुना.
आशा और भ्रम साथ-साथ
गुरुः स्वोच्चे धनवृद्धिं, शुक्रे नीचस्थे व्ययः. बुधे वृश्चिके भ्रमो व्यापारे, वक्री शनि देरीः निर्णयेषु.
इन पंक्तियों में बाजार के इस पूरे मौसम का सत्य छिपा है, धन बढ़ेगा पर विवेक घटेगा. बाजार उठेगा, पर संतुलन खो सकता है. नीति रुकेगी, पर बदलाव भी तय है.
अब क्या करें निवेशक?
जो शांति दिख रही है, वह स्थायी नहीं है. भारत और विश्व दोनों बदलाव के दौर में हैं. ज्योतिष की मानें तो गुरु भरोसा दिला रहा है, पर शुक्र संयम मांग रहा है. शनि देरी ला रहा है, पर मंगल गति देने को तैयार है. यानी अगले कुछ हफ्तों में बाजार एक ऐसी लहर से गुजरेगा जो अवसर और जोखिम दोनों साथ लाएगी.
लेकिन मैदिनी ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार अनुसार जब तीन ग्रह गुरु, शुक्र और शनि एक साथ परस्पर विरोधी स्थिति में हों, तब अर्थव्यवस्था दिशा बदलती है. अक्टूबर-नवंबर 2025 उसी मोड़ पर खड़ा है.