भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच चल रही ट्रेड डील वैश्विक व्यापार के परिदृश्य को पूरी तरह बदलने वाली साबित हो सकती है। अगले तीन महीनों में इस समझौते को अंतिम रूप देने का लक्ष्य है, जिसमें खासतौर पर कृषि, स्थिरता, और बाजार पहुंच जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस प्रगति का एक बड़ा कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ नीतियों के कारण पैदा हुई वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितता है, जिसने भारत और यूरोपीय संघ के बीच बातचीत को और भी तेजी से आगे बढ़ाया है।
ट्रेड डील की अहमियत’
यह ट्रेड डील न केवल भारत और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक आर्थिक प्रणाली में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत करेगी। यूरोपीय संघ के लिए यह समझौता अपने बाजार को बढ़ती वैश्विक अस्थिरता से सुरक्षित रखने का एक जरिया है। वहीं भारत इसे आर्थिक सुधारों और विकास के वर्षों बाद एक रणनीतिक कदम मानता है, जो न केवल व्यापार में सुधार लाएगा, बल्कि देश की वैश्विक आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करेगा।
भारत की ओर से इस समझौते को किसी मजबूरी या हताशा की प्रतिक्रिया के रूप में नहीं, बल्कि अपनी आर्थिक ताकत और आत्मविश्वास को दर्शाने वाला कदम माना जा रहा है। यह ट्रेड डील भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर सिर्फ एक सहभागी नहीं, बल्कि एक सक्रिय निर्णायक खिलाड़ी बनने का मौका देगी।
भारत का बढ़ता आर्थिक प्रभाव’
वन वर्ल्ड आउटलुक की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत का मजबूत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, डिजिटल अर्थव्यवस्था की तेजी, और बड़े घरेलू उपभोक्ता बाजार ने इसे यूरोपीय कंपनियों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना दिया है, खासकर उन कंपनियों के लिए जो चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती हैं। यूरोप के रूस और चीन पर निर्भरता घटाने के प्रयासों में भारत को एक अहम भागीदार के रूप में देखा जा रहा है।
वैश्विक व्यापार में भारत की बढ़ती भूमिका’
यदि यह ट्रेड डील सफलतापूर्वक अंतिम रूप लेती है, तो यह वैश्विक व्यापार नियमों को आकार देने में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगी। यह न केवल भारत की वैश्विक आर्थिक महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक होगा, बल्कि एक ऐसे युग की शुरुआत भी होगी, जिसमें भारत आर्थिक और राजनीतिक दोनों ही स्तरों पर विश्व मंच पर एक निर्णायक शक्ति के रूप में उभरेगा।