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“PM-CM हटाने वाले बिल पर सरकार ने लाई तेजी, जेपीसी गठन को लेकर विपक्ष से जल्द होगी बातचीत”

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सरकार 130वें संविधान संशोधन विधेयक के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन को लेकर फिर से एक्टिव हो गई है. इस विधेयक के मुताबिक, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी मंत्री अगर 30 दिनों तक लगातार जेल में रहते हैं, तो उनका पद खुद ही खत्म माना जाएगा.

मॉनसून सत्र खत्म होते ही इस जेपीसी (JPC) का गठन किया जाना था, लेकिन करीब एक महीने बाद भी यह नहीं हो सका है. इसकी मुख्य वजह यह है कि इसमें शामिल होने पर विपक्ष के बीच आम राय नहीं बन पाई है.

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस गतिरोध को सुलझाने के लिए एक कोशिश और करने का फैसला किया है. वह जल्द ही मल्लिकार्जुन खरगे और जयराम रमेश सहित कांग्रेस के सीनियर नेताओं से चर्चा करेंगे और जेपीसी (JPC) के लिए उनके सदस्यों के नाम जल्द देने का अनुरोध करेंगे.

कांग्रेस आलाकमान शुरुआत में जेपीसी (JPC) में शामिल होने की बात कह चुका था, लेकिन अब विपक्ष के दूसरे दलों के स्टैंड को देखते हुए वह दुविधा में है.

विपक्षी दल क्यों कर रहे बहिष्कार?

इंडिया ब्लॉक में शामिल टीएमसी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, डीएमके और शिवसेना (UBT) सहित कई दल इस जेपीसी (JPC) का बहिष्कार करने का फैसला कर चुके हैं. इन दलों का तर्क है कि यह कानून विपक्ष के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को फंसाने और उनकी सरकारों को अस्थिर करने के लिए लाया जा रहा है. उनका मानना है कि यह विधेयक राजनीतिक प्रतिशोध के लिए लाया गया है.

किरेन रिजिजू समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी समेत अन्य विपक्षी नेताओं को भी फोन करके जेपीसी (JPC) के लिए सदस्यों का नाम देने की गुजारिश करेंगे. सरकार को उम्मीद है कि ये दल आखिरकार मान जाएंगे. कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते बहिष्कार करने पर सत्ता पक्ष यह आरोप लगा सकता है कि कांग्रेस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में गंभीर नहीं है.

विधेयक में क्या है प्रावधान?

पिछले दिनों खत्म हुए संसद के मॉनसून सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान में 130वां संशोधन विधेयक पेश किया था. इस विधेयक के मुताबिक, अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर अपराध (जिसमें करीब 5 साल की सजा का प्रावधान हो) में लगातार 30 दिन जेल में रहते हैं, तो 31वें दिन वे उस पद से मुक्त माने जाएंगे.

हालांकि, रिहाई होने के बाद उन्हें फिर से इस पद पर नियुक्त किया जा सकता है. अमित शाह ने संसद में कहा था कि ऐसा इसलिए जरूरी है, जिससे जेल से सरकार न चलाई जाए, और उन्होंने ही इस बिल को जेपीसी (JPC) में भेजने का प्रस्ताव रखा था.

सरकार के सामने आखिरी विकल्प

सरकार के सामने एक चुनौती यह भी है कि अगर विपक्षी दल जेपीसी (JPC) में शामिल होने के लिए नाम नहीं भेजते हैं, तो सरकार अंतिम विकल्प पर विचार करेगी. अंतिम विकल्प यह है कि सरकार बिना विपक्ष के सदस्यों के ही जेपीसी (JPC) का गठन कर दे.