देश में एक्सप्रेसवे, हाईवे और रेलवे का लगातार विस्तार हो रहा है. हर बड़े शहर को जोड़ने के लिए हाई स्पीड सड़कें बनाई जा रही हैं और सफर को आसान बनाने के लिए सुरंगों का भी निर्माण हो रहा है. फिर वो चाहे रेलवे के लिए हो या फिर एक्सप्रेसवे या हाईवे के लिए. पिछले कुछ साल में दर्जनों टनल का निर्माण हो चुका है, लेकिन अब देश को पहली 8 लेन वाली सुरंग का तोहफा मिलने जा रहा है. इस सुरंग के अंदर भी 100 की स्पीड से कारें दौड़ाई जा सकेंगी. इस टनल के पूरा हो जाने से 3 घंटे वाला रास्ता महज 1 घंटे में तय किया जा सकेगा.
देश की पहली 8 लेन वाली यह सुरंग दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर बनाई जा रही है. इस एक्सप्रेसवे के कोटा-दिल्ली रूट पर यह सुरंग पड़ती है, जिसका निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है और माना जा रहा है कि नवंबर तक इसे शुरू कर दिया जाएगा. इस सुरंग को मुकुंदरा हिल्स में बनाया जा रहा है, जहां टाइगर रिजर्व है. एक्सप्रेसवे के इस पैकेज नंबर 10 की लंबाई करीब 26.5 किलोमीटर है, जिसमें 5 किलोमीटर लंबी टनल भी आती है. एक बार इसका निर्माण पूरा हो गया तो दिल्ली से कोटा के बीच आना जाना भी आसान हो जाएगा.
रास्ते में आ रही हाईटेंशन लाइन
इस पैकेज के निर्माण में बड़ी बाधा हाईटेंशन लाइन की आ रही है. यह सेक्शन जयपुर के सिमालिया और फागी के बीच पड़ता है. इसे हटाने के लिए कई दिनों का शटडाउन करना पड़ेगा. यही कारण है कि सरकार मौसम के थोड़ा अच्छा होने का इंतजार कर रही है. माना जा रहा है कि नवंबर तक इसका काम पूरा हो जाएगा. इसके बाद दिसंबर से दिल्ली और कोटा के बीच इस टनल के रास्ते वाहनों की आवाजाही भी शुरू कर दी जाएगी. दौसा सेक्शन के प्रोजेक्ट निदेशक भरत सिंह का कहना है कि भारी बारिश की वजह से काम को कुछ दिन के लिए रोकना पड़ा था.
अभी 60 किलोमीटर का पड़ता है घुमाव
टनल के अभाव में अभी मुकुंदरा हिल्स को पार करने के लिए वाहनों को सवाईमाधोपुर के रास्ते करीब 60 किलोमीटर तक हाईवे से घूमकर जाना पड़ता है. आगे जाकर यह हाईवे दौसा जिले के लालसोट के पास एक्सप्रेसवे से मिलता है. टनल तैयार होने के बाद एक्सप्रेसवे सीधे कोटा तक जाएगा और मुकुंदरा हिल्स को बीच से पार किया जा सकेगा. इस तरह, जिस सफर को पूरा करने में अभी 3 घंटे लग जाते हैं, वह महज 60 मिनट में तय हो जाएगा.
टनल पार करते ही पहुंचेंगे गुजरात
मुकुंदरा हिल्स की पहाडि़यों के नीचे 5 किलोमीटर लंबी यह सुरंग 22 मीटर चौड़ी होगी, जिसमें हर तरफ के वाहन के लिए 4 लेन बनाई जाएगी. इस टनल को पार करते ही वाहन गुजरात की सीमा में प्रवेश कर जाएंगे. टनल की खासियत यह है कि इसके निर्माण में टाइगर रिजर्व को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. निर्माण पूरा होने के बाद भी ऊपर जंगली जानवरों के घूमने की जगह बनी रहेगी और नीचे वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से अपना सफर तय करेंगे. बावजूद इसके टाइगर रिजर्व तक वाहनों का शोर नहीं पहुंचेगा.