छत्तीसगढ़ में मौसम एक बार फिर करवट ले चुका है। मानसून के कमजोर पड़ने के बाद अब प्रदेश के कई हिस्सों में दोबारा गरज-चमक और बारिश का दौर शुरू हो गया है। मौसम विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि आने वाले दो दिनों तक प्रदेश के बलरामपुर-सरगुजा, कोरिया, जशपुर, सूरजपुर, कबीरधाम, राजनांदगांव, कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, गरियाबंद, महासमुंद, धमतरी और बेमेतरा जिलों में बिजली गिरने का खतरा है।
इन जिलों में कहीं हल्की तो कहीं तेज बौछारें पड़ सकती हैं। तेज हवाओं के साथ बिजली गिरने की संभावना बनी हुई है। वहीं रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और बस्तर संभाग के कुछ हिस्सों में मौसम सामान्य रहेगा। बादल छाए रहेंगे, लेकिन तेज बारिश की संभावना फिलहाल नहीं है।
मौसम विभाग के मुताबिक, इस समय नमी युक्त हवाएं उत्तर-पूर्वी छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ रही हैं। इससे सरगुजा और बस्तर संभाग के जिलों में वायुमंडलीय अस्थिरता पैदा हो रही है। यही वजह है कि यहां गरज-चमक के साथ बारिश और बिजली गिरने की घटनाएं हो सकती हैं। विभाग का अनुमान है कि दो दिन तक यही स्थिति बनी रहेगी। इसके बाद एक बार फिर मानसून सक्रिय होगा और पूरे प्रदेश में अच्छी बारिश देखने को मिल सकती है।
बिजली गिरना एक प्राकृतिक आपदा है, जो अक्सर बारिश के दौरान आसमान में उठने वाली स्थैतिक ऊर्जा के कारण होती है। यह पल भर में इंसानों, जानवरों और पेड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है। यही कारण है कि इसे लेकर हमेशा सतर्कता बरतना जरूरी है।
मौसम विभाग की चेतावनी- इन बातों का रखें खास ध्यान, बारिश और गरज-चमक के समय खुले मैदान या खेत में काम न करें। पेड़ और बिजली के खंभों के नीचे खड़े होने से बचें। मोबाइल फोन या किसी भी धातु की वस्तु का इस्तेमाल न करें। अगर आप खुले में हैं तो तुरंत किसी पक्के मकान या सुरक्षित जगह पर शरण लें। किसान बारिश के दौरान ट्रैक्टर, हल या अन्य लोहे के उपकरणों से दूरी बनाए रखें।
मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, पिछले साल छत्तीसगढ़ में बिजली गिरने से 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। सबसे ज्यादा घटनाएं सरगुजा और बस्तर संभाग में हुई थीं। यही कारण है कि इस बार विभाग लगातार लोगों को अलर्ट कर रहा है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 2 दिन बाद एक नया सिस्टम विकसित होगा, जिससे पूरे छत्तीसगढ़ में फिर से जोरदार बारिश होगी। खासकर धान की फसल के लिए यह बारिश काफी फायदेमंद होगी, क्योंकि इस समय धान की बुवाई और रोपाई का अंतिम चरण चल रहा है।