छत्तीसगढ़ के रायपुर नगर निगम क्षेत्र में अवैध प्लॉटिंग और नक्शा स्वीकृति के विपरीत निर्माण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। निगम प्रशासन के प्रयासों के बावजूद ऐसे मामलों में ठोस रोकथाम नहीं हो पा रही है। जो कार्रवाई की जा रही है, वह ज्यादातर खानापूर्ति साबित हो रही है, जबकि निगम के रिकॉर्ड में अब तक दो हजार से ज्यादा मामले सूचीबद्ध हो चुके हैं।
पिछले तीन महीनों में कई जगह मुरम रोड काटने और अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई देखने को मिली है, लेकिन हाल ही में जोन 8 के टाटीबंध क्षेत्र में करीब 18 सौ वर्गफीट में नक्शा स्वीकृति के विपरीत भवन के केवल कुछ हिस्सों को तोड़कर अमला लौट गया, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं
एफआईआर दर्ज कराने में जिमेदारों के कांप रहे हाथ
नगर निगम क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या के रूप में अवैध प्लॉटिंग कारोबार उभरा है। अफसरों के अनुसार सभी 10 जोन क्षेत्रों का एक आंकडा 100 से 150 एकड़ तक पहुंच चुका है। क्योंकि मुरम रोड काटने की कार्रवाई के बाद भूमाफिया बेखौफ टुकड़े-टुकड़े में अवैध प्लॉट बेचकर निकल रहे हैं।
ऐसे में लोग मकान बना लेते हैं, जहां बुनियादी सुविधाएं कुछ भी नहीं होती हैं और नगर निगम से सड़क, बिजली, पानी, नाली की लोग उमीदें करते हैं। जबकि अवैध प्लॉटिंग और नक्शा के विपरीत निर्माण से करोड़ों रुपए की चपत हर साल नगर निगम को शुल्क के रूप में लगती है। इसके बावजूद पिछले पांच सालों से एक जैसे ढर्रे पर कार्रवाई चल रही है और लगातार भूमाफिया और दलाल सक्रिय हैं।
सबसे अधिक कॉलोनी विकास शुल्क का नुकसान
भूमाफियाओं के अवैध प्लॉटिंग कारोबार से सबसे अधिक चपत नगर निगम को ही लग रही है। क्योंकि न तो ले-आउट पास कराने का शुल्क और न ही कॉलोनी विकास शुल्क जमा होता है। केवल मिट्टी और मुरम की रोड बनाकर खुलेआम अवैध प्लॉटिंग चल रही है।
जब दो से तीन महीने बीत जाते हैं, तब निगम का अमला कार्रवाई करने निकलता है, तब तक सैकड़ों लोग टुकड़े में प्लॉट खरीद चुके हुए थे और असली भूमाफिया का नगर निगम का अमला नामजद कर लेता है तो सती से एफआईआर भी नहीं कराई जाती है। इस वजह से अवैध प्लॉटिंग कारोबार चौतरफा फैला है।
निगम ने सिर्फ 350 प्रकरण भेजे तो रिपोर्ट 20 दर्ज हुई
अवैध प्लॉटिंग कारोबार दरअसल सरकारी विभागों के बीच सांप-सीढ़ी की खेल के तरह चल रहा है। मुरम रोड काटकर रकबा नंबर की जानकारी तहसील मिल गई तो पुलिस फिर रिपोर्ट दर्ज करने तहसील ऑफिस का मुंह ताकती है। इसी उलझन में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है।
इसका खुलासा करते हुए निगम के अधिकारी बताते हैं कि पिछले चार-पांच सालों में 350 से अधिक मामले सूचीबद्ध किए जिसमें पुता तौर पर एमआईआर की कार्रवाई हो सकती थी, परंतु पुलिस ने सिर्फ 20 मामले दर्ज करने की प्रक्रिया की, लेकिन गिरतारी आज तक किसी दलाल या भूमाफिया की नहीं हुई।
जोन 10 में ऐसे 500 से अधिक मामले
नगर निगम के जोन 10 में अवैध प्लॉटिंग के सबसे अधिक मामले हैं, क्योंकि आउटर में होने से अधिकारी निरीक्षण करने नहीं निकलते हैं। इसका फायदा भूमाफिया और दलाल उठाते हैं। बोरियाखुर्द एवं डूंडा क्षेत्र में सबसे अधिक अवैध प्लॉटिंग हुई है। यह सिलसिला अभी भी जारी है।
जोन 10 के न्यू संतोषीनगर बोरियाखूर्द में नगर निगम से बिना अनुमति के अवैध प्लॉटिंग क्षेत्र में 16 अवैध भवनों का निर्माण कराने में भूमाफिया पीछे नहीं रहा। लगातार शिकायत के बाद उस निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई रायपुर एसडीएम से लेकर निगम का अमला सक्रिय हुआ था।
नाम उजागर होने के बाद भी एफआईआर नहीं
विगत दिनों जोन 8 के वार्ड 1 क्षेत्र अंतर्गत राहुल शर्मा राजेंद्र कुमार शर्मा खसरा 84/1, दीपू प्रसाद 83/4,84/3, प्रकाश सिंह /तोरण 86/14,87/1,88/4,175/2,175/1 बिरेंद्र सिंह / भरत सिंह 86/13,87/4,87/5,88/3,89/5,90/2, राजकुमार पिता भरत 82/02,86/05,86/07,87/03,88/1 रकबा नंबर के साथ सूचीबद्ध किया गया है, नगर निगम से कॉलोनी विकास अनुमति के 0.244 हेक्टेयर, 0.193 हेक्टेयर 0.309 हेक्टेयर,0.317 हेक्टेयर एवं 0.399 ,हेक्टेयर भूमि पर अवैध प्लॉटिंग की गई है। इसके बावजूद एफआईआर जैसी ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
नगर निगम क्षेत्र में अवैध प्लॉटिंग और उसमें बिना अनुमति निर्माण बड़ी समस्या है। इस पर सती से रोक लगाने सभी जोन अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। यह निर्णय लिया गया है कि रकबा नंबर समेत नामजद रिपोर्ट दर्ज कराएं।



