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“TET Exam 2025 :अब सरकारी ही नहीं, प्राइवेट शिक्षकों को भी पास करनी होगी TET, NCTE ने तय की नई योग्यता”

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TET Exam 2025: शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) 2025 को लेकर शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव सामने आया है। अब केवल सरकारी स्कूलों के लिए ही नहीं बल्कि धीरे-धीरे प्राइवेट क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों के लिए भी टीईटी अनिवार्य बनता जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) की सिफारिशों के बाद इस नियम को लागू करना अनिवार्य कर दिया गया है। पहले नए शिक्षकों की भर्ती में ही टीईटी आवश्यक था, लेकिन अब पुराने शिक्षकों को भी अपने पद पर बने रहने और पदोन्नति पाने के लिए इस परीक्षा को पास करना होगा। यह बदलाव लाखों शिक्षकों को प्रभावित करेगा और शिक्षा क्षेत्र में एक नई गुणवत्ता सुधार प्रक्रिया की शुरुआत करेगा। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि यह फैसला किस पर लागू होगा, किन्हें छूट मिली है और आगे शिक्षा व्यवस्था में क्या बदलाव आएंगे।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसका महत्वसरकारी शिक्षकों के लिए अनिवार्यताप्राइवेट और अल्पसंख्यक शिक्षकों की स्थितिसंविदा और शिक्षामित्रों पर असरशिक्षकों के अवसर और विकल्प सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसका महत्व सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अब शिक्षक बने रहने के लिए भी टीईटी पास करना जरूरी होगा।

जस्टिस दत्त और जस्टिस अगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि बिना टीईटी पास किए कोई शिक्षक नौकरी पर नहीं रह सकता। यह फैसला उन शिक्षकों के लिए भी लागू होगा जो प्रमोशन लेना चाहते हैं। अगर वे उच्च पद पर जाना चाहते हैं तो टीईटी पास करना उनकी न्यूनतम शर्त होगी। कोर्ट का यह फैसला देशभर की शिक्षा प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव माना जा रहा है क्योंकि अब गुणवत्ता और योग्यता के बिना किसी शिक्षक की नौकरी सुरक्षित नहीं रहेगी।

सरकारी शिक्षकों के लिए अनिवार्यता इस आदेश से सबसे ज्यादा प्रभावित सरकारी शिक्षक होंगे। अब देशभर में लगभग दस लाख सरकारी शिक्षक सीधे इस फैसले के दायरे में आ जाएंगे। यदि कोई शिक्षक टीईटी पास नहीं करता है, तो उसे नौकरी छोड़नी होगी या फिर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। हालांकि, इसमें एक बड़ी राहत यह है कि जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पांच वर्ष से कम बची है, उन्हें परीक्षा देने से छूट मिलेगी। यह व्यवस्था उन शिक्षकों के लिए बनाई गई है जो सेवानिवृत्ति के निकट हैं। लेकिन यदि ऐसे शिक्षक प्रमोशन लेना चाहते हैं, तो उन्हें भी टीईटी उत्तीर्ण करना होगा।

प्राइवेट और अल्पसंख्यक शिक्षकों की स्थिति निजी और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों के लिए फिलहाल कुछ राहत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल अल्पसंख्यक संस्थानों को इसका पालन करने की बाध्यता नहीं होगी क्योंकि यह मामला बड़ी बेंच के पास लंबित है। हालांकि, भविष्य में संभव है कि इन शिक्षकों को भी टीईटी अनिवार्य रूप से पास करना पड़े। यही कारण है कि निजी और अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षक भी इस दिशा में गंभीरता दिखा रहे हैं। अगर आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट अपना रुख कठोर करता है, तो टीईटी सभी प्रकार के शिक्षण संस्थानों के लिए समान रूप से अनिवार्य हो जाएगा।

संविदा और शिक्षामित्रों पर असर देशभर में बड़ी संख्या में संविदा, शिक्षामित्र और पैरा टीचर्स कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि टीईटी की अनिवार्यता इन वर्गों के लिए भी लागू की जा सकती है। अभी तक इस विषय पर कोई अंतिम फैसला नहीं आया है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए कोर्ट ने साफ कर दिया है कि भविष्य में सभी श्रेणी के शिक्षकों को टीईटी पास करना पड़ सकता है। यह स्थिति इन शिक्षकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है क्योंकि उनमें से कई वर्षों से कार्यरत हैं लेकिन उन्होंने यह परीक्षा अब तक नहीं दी है। ऐसे में उनके लिए यह फैसला भविष्य में रोजगार की स्थिरता को लेकर चिंता पैदा करता है।

शिक्षकों के अवसर और विकल्प जिन शिक्षकों की सेवा अवधि लंबी है, उनके लिए अब कोई दूसरा विकल्प नहीं है, उन्हें शिक्षक बने रहने के लिए टीईटी पास करना ही होगा। यह व्यवस्था उनके लिए बंधन की तरह है, लेकिन दूसरी ओर यह शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की गारंटी भी है। वहीं जिनकी सेवा अवधि पांच साल से कम बची है, वे टीईटी से छूट का लाभ उठा पाएंगे। हालांकि, यदि वे अपने करियर में पदोन्नति हासिल करना चाहते हैं, तो परीक्षा देना उनके लिए अनिवार्य रहेगा। इसका सीधा अर्थ यह है कि अब हर शिक्षक को अपनी योग्यता साबित करनी होगी ताकि छात्र बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकें।

शिक्षा व्यवस्था पर असर टीईटी की अनिवार्यता लागू होने के बाद शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। जहां एक ओर छात्रों को अधिक योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक मिलेंगे, वहीं दूसरी ओर उन शिक्षकों की नौकरी पर संकट मंडरा सकता है जिन्होंने अब तक यह परीक्षा नहीं दी है। लंबे समय से बिना टीईटी पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब इस परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और शिक्षा प्रणाली पारदर्शी भी बनेगी। यह फैसला लंबे समय तक शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देगा और छात्रों के भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव डालने में मददगार होगा।