भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मारीशस के प्रधामंत्री डा. नवीन चंद्र रामगुलाम के बीच द्विपक्षीय वार्ता में दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए। इसमें बुनियादी सुविधा, तकनीक, स्वास्थ्य आदि शामिल रहा।
इस सब के बीच यह देखने में आया कि भारत-मारीशस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने का रास्ता धार्मिक जुड़ाव भी है। मारीशस के प्रधानमंत्री आठ दिन की भारत यात्रा पर हैं। इस दौरान उनके पड़ाव पर नजर डालें तो धार्मिक प्रगाढ़ता साफ दिखती है। काशी अपने आप में अपनी हिंदू धर्म संस्कृति के लिए जानी जाती है और यहीं पर द्विपक्षीय समझौते हुए। वह अपने तीन दिवसीय दौरे में विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती देखी। इतना ही नहीं वह स्वयं दीप लेकर आरती करते रहे।
उनकी यात्रा में श्री काशी विश्वनाथ का विधि विधान से दर्शन-पूजन भी शामिल है। यह उनकी सनातन के प्रति श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। वैसे काशी में इस आयोजन के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यहां से सांसद होना और उनकी ऐसे आयोजनों को देश भर में करने को जाता है।
काशी में आयोजन के पीछे पूर्वांचल के इलाके का गिरमिटिया मजदूर के रूप में मारीशस जाना और उसे अपने खून-पसीने से सींचकर समृद्ध करने से भी है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी से भोजन पर चर्चा के दौरान डा. रामगुलाम ने उन्हें बताया कि वह इसके पूर्व अपने पिता शिवसागर रामगुलाम अस्थि विसर्जन गंगा में करने के लिए 2014 में काशी आए चुके हैं। ये उनकी हिंदू कर्मकांड में आस्था का प्रतीक है।
इस यात्रा की धार्मिक प्रगाढ़ता यहीं नहीं खत्म होती है। रामगुलाम काशी के बाद अयोध्या में भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर देखने जाएंगे। श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के प्रति पूरी दुनिया के हिंदुओं में उत्साह है। रामगुलाम भी अपने को श्रीराम के दरबार में जाने से नहीं रोक सके। वह इसके बाद तिरुपति भी जाएंगे। इस प्रकार उनकी आठ दिवसीय यात्रा का काफी बड़ा हिस्सा धार्मिक है।