“New PMO: 78 साल बाद क्यों बदल रहा PMO का पता? साउथ ब्लॉक छोड़ने के पीछे क्या है ‘बड़ा’ कारण?”
दिल्ली के पावर कॉरिडोर में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. करीब 78 साल बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) अब साउथ ब्लॉक से शिफ्ट होकर नए बने एग्जिक्यूटिव एन्क्लेव में जाएगा. यह कदम सिर्फ ऑफिस बदलने भर का नहीं है, बल्कि भारत की बदलती छवि और आधुनिक होते प्रशासन का भी संकेत है.
सरकार के सूत्रों ने बताया कि नया दफ्तर अगले महीने से काम करना शुरू कर देगा. चलिए जानते हैं विस्तार से… क्यों हो रहा है PMO का शिफ्ट?
दरअसल, साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक जैसी इमारतें आज़ादी से पहले ब्रिटिश शासन के दौरान बनी थीं. इनमें जगह की कमी है और आधुनिक सुविधाओं का भी अभाव है. जैसे-जैसे भारत एक बड़ी आर्थिक ताकत बन रहा है, वैसे-वैसे यह महसूस किया गया कि प्रशासनिक कामकाज के लिए नई और बेहतर इमारतों की ज़रूरत है. यही वजह है कि साउथ ब्लॉक से कुछ सौ मीटर दूर नए एग्जिक्यूटिव एन्क्लेव का निर्माण कराया गया है. यहां सिर्फ PMO ही नहीं, बल्कि कैबिनेट सचिवालय, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सचिवालय और कॉन्फ्रेंसिंग फैसिलिटी भी होगी. खास बात यह है कि यह जगह प्रधानमंत्री के आवास के भी करीब है.
पुराने दफ्तर की दिक्कतें हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन करते हुए कहा था कि आज़ादी के बाद से प्रशासनिक मशीनरी उन्हीं इमारतों से चल रही थी जो अंग्रेजों ने बनाई थीं. इन दफ्तरों में जगह, रोशनी और वेंटिलेशन जैसी बेसिक सुविधाएं भी ठीक से नहीं थीं. उन्होंने उदाहरण दिया कि गृहमंत्रालय जैसी अहम इकाई लगभग 100 साल तक सिर्फ एक इमारत से काम करती रही, जबकि वहां पर्याप्त संसाधन मौजूद नहीं थे. नए दफ्तर इस कमी को दूर करेंगे और आधुनिक भारत की छवि से मेल खाएंगे.
नए PMO को मिल सकता है नया नाम सरकार का मानना है कि सिर्फ नया दफ्तर ही नहीं, बल्कि उसकी सोच भी नई होनी चाहिए. इसलिए चर्चा है कि नए PMO को एक नया नाम दिया जा सकता है जो सेवा की भावना को दर्शाए. प्रधानमंत्री ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में कहा था कि “PMO मोदी का नहीं, जनता का होना चाहिए. यह लोगों की सेवा करने वाला दफ्तर है.” इसीलिए नए दफ्तर के साथ “पीपुल्स PMO” की सोच भी आगे बढ़ सकती है.
साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक का क्या होगा? अब सवाल उठता है कि साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक जैसी ऐतिहासिक इमारतों का क्या होगा. सरकार ने योजना बनाई है कि इन्हें एक विशाल सार्वजनिक म्यूज़ियम में बदल दिया जाएगा, जिसका नाम होगा ‘युगे युगीन भारत संग्रहालय’. इसके लिए भारत के राष्ट्रीय संग्रहालय और फ्रांस म्यूज़ियम डेवलपमेंट के बीच करार भी हो चुका है. सरकार का कहना है कि यह संग्रहालय भारत की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करेगा और लोगों को हमारे गौरवशाली अतीत, उज्ज्वल वर्तमान और सुनहरे भविष्य से जोड़ने का काम करेगा.