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25% टैरिफ के बावजूद सेंसेक्स ने की शानदार रिकवरी, वक्त बदल दिया.. जज्बात पलट दिए

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शेयर बाजार ने गुरुवार को वह किया, जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी. शुरुआत तो गिरकर ही हुई थी, लेकिन दोपहर होते-होते सेंसेक्स ने अपना इंट्राडे के निचले स्तर से 900 अंकों की रिकवरी कर ली. बुधवार शाम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 फीसदी टैरिफ के ऐलान के बाद गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में दिन की शुरुआत काफी कमजोर रही थी. लेकिन दोपहर तक आई तेजी की वजह कुछ अच्छे संकेत माने जा रहे हैं, जैसे कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, वैश्विक बाजारों से पॉजिटिव संकेत और भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर बातचीत जारी रहने की उम्मीदें.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, BSE सेंसेक्स दिन के शुरुआती कारोबार में करीब 786 अंक टूटकर 80,695 तक पहुंच गया था, लेकिन इसके बाद इसमें जबरदस्त उछाल आया और यह 650 अंक की तेजी के साथ 81,345 के स्तर पर जा पहुंचा. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 24,635 के निचले स्तर से पलटा और 24,800 के ऊपर कारोबार करने लगा.
5 कारणों से हुई शानदार रिकवरी
इस रिकवरी के पीछे सबसे बड़ी वजह यह रही कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही भारत के सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की बात कही हो, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भारत के साथ बातचीत जारी रहेगी. निवेशकों को उम्मीद है कि बुधवार वाला बयान केवल ज्यादा दबाव बनाने के लिए दिया गया है, और अंत में टैरिफ इतना ज्यादा नहीं लगाया जाएगा. अगली बातचीत अगस्त में होनी है, जिसे लेकर बाजार में उम्मीदें बनी हुई हैं.
दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक 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दूसरी अहम बात यह रही कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी नीचे आईं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19% गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत एक बड़ा तेल आयातक देश है, इसलिए तेल सस्ता होने से महंगाई पर दबाव कम होता है और यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है.

तीसरा पॉजिटिव फैक्टर रहा दुनिया के अन्य बाजारों का अच्छा प्रदर्शन. जापान का निक्केई इंडेक्स करीब 1.5% बढ़ा, और अमेरिका के शेयर बाज़ारों से भी अच्छे संकेत मिले. इससे भारतीय निवेशकों में भी भरोसा लौटा.

रुपये में भी थोड़ी मजबूती देखने को मिली. शुरुआत में डॉलर के मुकाबले रुपया 89 पैसे गिर गया था, जो तीन सालों में सबसे तेज गिरावट थी, लेकिन बाद में 14 पैसे की रिकवरी के साथ यह 87.66 पर आ गया. माना जा रहा है कि इसमें रिजर्व बैंक की संभावित दखल का असर हो सकता है.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से संकेत मिले कि अमेरिका में ब्याज दरें घट सकती हैं. हालांकि फेड चेयरमैन ने सीधे कुछ नहीं कहा, लेकिन दो वरिष्ठ अधिकारियों ने ब्याज दर कम करने के पक्ष में राय दी. इससे दुनिया भर के बाजारों को यह उम्मीद मिली कि आने वाले महीनों में लोन सस्ते हो सकते हैं, जिससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा.

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