छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने जांजगीर-चांपा के बहुचर्चित पुलिस हिरासत में मौत मामले में चार पुलिसकर्मियों की सजा में संशोधन किया है. इस मामले में अब आजीवन कारावास की बजाय 10 वर्ष का कठोर कारावास भुगतना होगा, जबकि जुर्माना यथावत रहेगा.
मामला 17 सितंबर 2016 को मुलमुला थाना क्षेत्र का है. यहां हिरासत में लिए गए युवक सतीश नोरगे की मौत हो गई थी. इस मामले में पहले आरोपित पुलिसकर्मियों को धारा 302/34 के तहत आजीवन कारावास की सजा दी गई थी.
आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी की खंडपीठ ने इसे इरादतन नहीं बल्कि गैरइरादतन हत्या मानते हुए धारा 304(भाग-2)/34 के तहत दोषी करार दिया. अब सभी को आजीवन कारावास की बजाय 10 वर्ष का कठोर कारावास भुगतना होगा, जबकि जुर्माना यथावत रहेगा.यह मामला मानवाधिकार हनन का गंभीर उदाहरण रहा, लेकिन कोर्ट ने इरादे की बजाय परिणाम को आधार बनाकर सजा में संशोधन किया.