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रेलवे टेंडर घोटाला, दिल्ली कोर्ट में लालू यादव के किस्मत पर आज फैसला

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दिल्ली के स्थानीय कोर्ट बुधवार को आईआरसीटीसी होटल घोटाला मामले में आरोप तय करने का आदेश सुना सकता है. इस मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनके परिवार के सदस्य और अन्य आरोपी हैं. यह मामला आईआरसीटीसी होटलों के टेंडर में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है. स्पेशल जज विशाल गोगने ने जांच एजेंसी और आरोपियों के वकीलों की दैनिक आधार पर दलीलें सुनने के बाद 29 मई तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
1 मार्च को, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पूर्व मंत्री प्रेमचंद गुप्ता और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपों पर अपनी बहस पूरी कर ली थी. इस मामले में 14 आरोपी हैं. सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) ने तर्क दिया था कि दो आईआरसीटीसी होटल रखरखाव ठेकों के आवंटन में आरोपियों की ओर से भ्रष्टाचार और साजिश रची गई थी.
एसपीपी डीपी सिंह ने अधिवक्ता मनु मिश्रा के साथ मिलकर तर्क दिया था कि आईआरसीटीसी के दो होटलों के रखरखाव के ठेके एक निजी कंपनी को आवंटित करने में भ्रष्टाचार और साजिश हुई है. सीबीआई ने कहा कि सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं. यह मामला उस दौर से जुड़ा है जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे. इनपर आरोप है कि आईआरसीटीसी के दो होटलों, बीएनआर रांची और बीएनआर पुरी के रखरखाव का ठेका विजय और विनय कोचर के स्वामित्व वाली एक निजी फर्म सुजाता होटल को दिया गया था.

टेंडर के बदले जमीन

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि इस सौदे के बदले में लालू प्रसाद यादव को एक बेनामी कंपनी के माध्यम से तीन एकड़ बेशकीमती जमीन मिली. 7 जुलाई, 2017 को सीबीआई ने लालू के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की थी. एजेंसी ने पटना, नई दिल्ली, रांची और गुड़गांव में लालू और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़े 12 ठिकानों पर छापेमारी भी की थी.

लालू के खिलाफ कोई सबूत नहीं?

दूसरी ओर- लालू प्रसाद यादव की ओर से दलील दी गई कि आईआरसीटीसी भ्रष्टाचार मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने के लिए कोई सबूत नहीं है. वे इस मामले में बरी किए जाने के हकदार हैं. ये दलीलें राउज़ एवेन्यू कोर्ट में पेश की गईं. अदालत आईआरसीटीसी भ्रष्टाचार मामले में आरोप तय करने पर बहस सुन रही है.

बरी के हकदार लालू

लालू प्रसाद यादव के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दलील दी कि लालू प्रसाद यादव की ओर से अनियमितताएं हुई हैं। टेंडर निष्पक्ष तरीके से दिए गए थे. लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. वे आरोपों से बरी किए जाने के हकदार हैं.

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