उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 74 वर्षीय धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा कि स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए मैं तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं. यह इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन शाम में आया. उन्होंने पूरे दिन राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की. धनखड़ अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति थे. उन्होंने अपने इस्तीफा पत्र में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद के समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त किया है. उनके इस्तीफे से उपराष्ट्रपति पद के लिए नया चुनाव छह महीने के भीतर होगा. धनखड़ तीसरे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया.
पूरे दिन क्या-क्या हुआ
धनखड़ के इस्तीफे से पहले पूरा दिन सामान्य रहा है. राज्यसभा में सोमवार को विपक्ष ने जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया. इस पर 63 सांसदों के हस्ताक्षर थे. यह विपक्ष का चौंकाने वाला कदम था. सत्तापक्ष इससे चौंक गया. क्योंकि लोकसभा में सत्ता पक्ष की ओर से ऐसा प्रस्ताव आया था जिस पर 152 सांसदों के हस्ताक्षर थे.
राज्यसभा के चेयरमैन धनखड़ का प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा कि 50 से अधिक सदस्यों के हस्ताक्षर की संख्या शर्त पूरी है. उन्होंने कहा कि यदि प्रस्ताव दो अलग-अलग दिनों में पेश हुआ हो तो जो प्रस्ताव पहले पेश हुआ उसी पर विचार होगा. यानी राज्यसभा में पेश विपक्ष का प्रस्ताव प्रभावी होगा.
इस दौरान धनखड़ ने कहा कि सदन को उच्चतम मानक स्थापित करने चाहिए. यदि हम लोगों की उपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे तो इसका मतलब है कि हम मुद्दों को दबा रहे हैं.
दिन में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार पर तीखे वार किए. सभापति ने उनको बोलने का पूरा मौका दिया. उसी वक्त सदन के नेता जेपी नड्डा ने यह कहा कि रिकॉर्ड में कुछ नहीं जा रहा है. जो मैं बोलूंगा वही रिकॉर्ड में जाएगा. हालांकि ऐसी हिदायत देने का अधिकार केवल सभापति के पास है. उनका यह बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहा है.
धनखड़ से मिले विपक्षी सांसद
शाम चार बजे के लगभग धनखड़ जयपुर दौरे का कार्यक्रम सार्वजनिक हुआ. शाम 5:30 के करीब विपक्षी सांसद उनसे मिलने पहुंचे. शाम 6 बजे के लगभग धनखड़ को संदेश मिला कि नोटिस पर 50 सांसदों के हस्ताक्षर तो हैं लेकिन ये सिर्फ विपक्ष के सांसद हैं. फिर खबर आई कि प्रस्ताव पर 50 नहीं 49 सांसदों के हस्ताक्षर है. एक सांसद ने दो बार हस्ताक्षर किए थे.
उधर, भाजपा ने अपने व सहयोगी दलों के राज्यसभा सांसदों के हस्ताक्षर जुटाने शुरू कर दिए. रक्षा मंत्री राजनाथ के घर के इसको लेकर बैठक हुई.
फिर 9:25 बजे धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया. इसी साल मार्च और जून में धनखड़ ने सीने में दर्द की शिकायत की थी. मार्च में उनको एम्स में भर्ती करवाया गया था.