महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है. विधान परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे को सत्ता पक्ष में आने का सार्वजनिक न्योता दे दिया है. फडणवीस ने हंसते हुए कहा कि ’29 तक तो कोई स्कोप नहीं है… लेकिन उद्धवजी, आपको यहां (सत्ता पक्ष) में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है.’ फडणवीस ने भले ही हल्के-फुल्के अंदाज में तंज कसा, लेकिन इसके सियासी मायने गहरे हैं. फडणवीस के ऑफर पर उद्धव ने कहा, ‘यह सब बातें हंसी-मजाक में हो रही थी, हंसी-मजाक में ही रहने दें…’
उसी दिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के साथ संभावित गठबंधन पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि मीडिया ने उनके नाम से बयान चलाए जो उन्होंने दिए ही नहीं.
राज ठाकरे ने कहा कि अनौपचारिक बातचीत को ‘बयान’ की तरह पेश करना पत्रकारिता की गरिमा के खिलाफ है. उन्होंने पत्रकारों को भी नसीहत देते हुए कहा कि वह भी 1984 से
5 जुलाई को हुए ‘विजय उत्सव’ के मंच पर महाराष्ट्र सरकार के उस आदेश को रद्द कराने का जश्न मनाना था, जिसमें राज्य के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने की बात थी. यह मंच मराठी अस्मिता की जीत के रूप में देखा गया.