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छत्तीसगढ़ में हर दिन हादसों में जा रही 22 लोगों की जान, इंटरसेप्टर से रखी जाएगी बस और ट्रकों पर नजर

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छ्त्तीसगढ़ में सड़क हादसों में हर दिन 22 लोगों की मौत हो रही है। पिछले 5 सालों के आंकड़े डराने वाले हैं। जिसे कम करने को लेकर प्रशासन की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विभाग की ओर से अब तेज रफ्तार बस और ट्रकों पर नजर रखने के लिए इंटरसेप्टर का उपयोग किया जाएगा।

हादसों में रोज जा रही 22 की जान

प्रदेश में सड़क हादसों में रोज औसत 22 लोगों की जान जा रही है। अप्रैल-2024 में 5,322 सड़क दुर्घटनाओं 2,591 व्यक्ति की मौत हुई और 4,825 लोग घायल हुए थे। इसी अवधि में वर्ष 2025 में सड़क दुर्घटनाओं में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं मौत के आंकड़े में 12.5 प्रतिशत और घायलों के आंकड़े में 10.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मई में भी हादसे, मृतकों और घायलों की संख्या बढ़ी है।

ठीक नहीं कर पा रहे ब्लैक स्पॉट

अंतरविभागीय लीड एजेंसी सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी विभागों द्वारा पिछले कई सालों से ब्लैक स्पाट को सुधारा जा रहा है। हालांकि राज्य पुलिस द्वारा वर्ष 2019-2025 तक चिन्हाकित व लंबित ब्लैक स्पाट में से 69 व 101 जंक्शन सुधार जाने की जानकारी दी गई है। मुख्य सड़कों में मिलने वाली ग्रामीण सड़कों के जंक्शन, दुर्घटनाजन्य सड़क खंडों, ब्लैक स्पॉट में प्राथमिकता से आवश्यक सुधारात्मक उपाय समय सीमा में पूरा करने को कहा गया है।

राजमार्ग और राष्ट्रीय राजमार्गों में होने वाले अधिकांश हादसे सड़कों के किनारे लापरवाहीपूवर्क वाहनों के खड़े करने और तेज रफ्तार के कारण होते हैं, लेकिन पुलिस खानापूर्ति करने के लिए कार्रवाई करती है। दूसरी तरफ राजधानी की रिंग रोड पर खड़े वाहनों पर नियमित कार्रवाई तक नहीं होती। मालवाहक मुख्य सड़क से लेकर सपोर्टिंग रोड का उपयोग पार्किंग के लिए कर रहे हैं। इसके चलते लगातार हादसे हो रहे हैं।

वहीं इस संबंध में जानकारी देते हुए ट्रैफिकि एआइजी संजय शर्मा ने बताया कि सड़क दुर्घटना में लगातार हो रही मौतों की मुख्य वजह तेज रफ्तार और नशे की हालत में वाहन चलाना है। वाहन की रफ्तार पर लगाम कसने के निर्देश दिए गए हैं। ब्लैक स्पाट को भी सुधारा जा रहा है।