छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में इंद्रावती टाइगर रिजर्व (आईटीआर) से सटे बंदेपारा में रविवार को मोबाइल टावर लगाया गया। यह वही गांव है, जहां 20सदी के नौवें दशक में छत्तीसगढ़ की पहली माओवादी घटना प्रकाश में आई थी।माओवादियों ने श्रमिकों के भुगतान को लेकर वन विभाग के एक कर्मचारी के साथ मारपीट की थी। तब से माओवादी हिंसा में बस्तर में चार हजार से अधिक सुरक्षा बल के जवान बलिदान हुए व आम नागरिक मारे जा चुके हैं।
बंदेपारा में मोबाइल टावर लगा तो मोबाइल फोन की घंटी ने जंगल के सन्नाटे को तोड़ दिया। गांव के लोग आश्चर्य से फोन पर हो रहे संवाद को सुन रहे थे। 50 साल के हो चुके लालसू मोबाइल से निकलती ध्वनि को सुन हतप्रभ थे। उन्होंने पहली बार मोबाइल पर बातचीत सुनी थी। इस कदम ने अबूझमाड़ के इस गांव की दुनिया बदलने की शुरुआत कर दी है।
16 महीने में 200 से अधिक मुठभेड़
केंद्र और राज्य की सरकार मार्च 2026 तक माओवादी हिंसा के समूल सफाये के लक्ष्य को लेकर चल रही है। पिछले 16 माह में 200 से अधिक मुठभेड़ में 420 से अधिक माओवादियों के शव मिल चुके हैं। यद्यपि माओवादी स्वीकारोक्ति के अनुसार अब तक 448 माओवादी मारे गए हैं। माओवादियों के विरुद्ध प्रहार तेज करने के साथ ही सरकार का जोर बस्तर के विकास पर भी है। इसी के तहत सुदूर क्षेत्रों में मोबाइल टावर स्थापित किए जा रहे हैं।