Home छत्तीसगढ़ फागुन के दिन से इस गांव में शुरू हो जाती है शादियां

फागुन के दिन से इस गांव में शुरू हो जाती है शादियां

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बीजापुर। जिले में स्थित चेरपाल गांव अपनी अनोखी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। फागुन के इस मेले से गांव में मंगनी, विवाह, त्योहारों और पारिवारिक परंपराओं की शुरुआत मानी जाती है। यहां के स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा श्रद्धा और आस्था के साथ की जाती है। इस मेले में स्थानीय देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बीजापुर नगर के देव चिकट राज के बड़े भाई पोतराज की फागुन मेले के दौरान विशेष पूजा की जाती है। मेले से सप्ताह भर पहले एक खास अनुष्ठान होता है, जिसमें पहाड़ी पर स्थित माता की छत्र को गांव लाया जाता है।

इस मेले में स्थानीय देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बीजापुर नगर के देव चिकट राज के बड़े भाई पोतराज की फागुन मेले के दौरान विशेष पूजा की जाती है। मेले से सप्ताह भर पहले एक खास अनुष्ठान होता है, जिसमें पहाड़ी पर स्थित माता की छत्र को गांव लाया जाता है।
नदी के किनारे तिल्ली के तेल से अंगारों की विशेष तैयारी कर पूजा की जाती है। इसके बाद माता की छत्र को पारंपरिक श्रृंगार कर पूरे गांव में घुमाया जाता है। फागुन मेले के दिन विशेष पूजा होती है, जिसके बाद देवी-देवताओं के नृत्य और आस्था से जुड़े अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं। यह मेला गांव के सामाजिक और धार्मिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और पूरे क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।