अच्छी सेहत हमारी सबसे बड़ी पूंजी है. इसके बगैर हमारी जिंदगी अधूरी है. अच्छी सेहत से ही लंबी उम्र का रास्ता गुजरता है. दुनिया भर के वैज्ञानिक इस जद्दोजेहद में हैं कि आखिर लंबी उम्र तक कोई कैसे सेहतमंद रहकर जीते हैं.
पर देखा जाए तो हमारे साधु संत सदियों से लंबी उम्र का राज जानते थे. आज उनकी दिनचर्या को ही विज्ञान लंबी उम्र और सेहतमंद रहने का मंत्र प्रमाणित करने लगा है. पर सवाल यह है कि यह मंत्र है क्या? क्या कोई बिना किसी बीमारी के 100 साल तक जिंदा रह सकता है. अगर एम्स नेशनल सेंटर फॉर एजिंग के एडिशनल सुप्रीडेंटेंड डॉ. प्रसून चटर्जी से यह बात पूछे तो उनका जवाब है हां, बिल्कुल रह सकता है लेकिन यह आपके तरीके से नहीं होगा. इसके लिए आपको हेल्दी तरीके की दिनचर्या को फॉलो करना होगा. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
क्या कहता है विज्ञान
डॉ. प्रसून चटर्जी कहते हैं कि हम कितना लंबा जिएंगे यह कई बातों पर निर्भर करता है. मसलन यदि माता-पिता की आयु लंबी है तो 30 प्रतिशत तक चांस रहता है कि उनके बच्चे की आयु भी लंबी हो. यानी जीन भी लंबी आयु का बड़ा कारण है. इसके बाद लंबी उम्र के लिए 70 प्रतिशत निर्भरता आपकी हेल्थ पर है. मतलब आपकी दिनचर्या कैसी है, आप क्या खाते हैं, आप कितनी एक्सरसाइज करते हैं, आप किस तरह के परिवेश में रहते हैं, पारिवारिक और सामाजिक जीवन कैसा है, आप पहाड़ों पर रहते हैं या समतल भूमि में. इन सारी चीजों में अधिकांश के लिए आप खुद जिम्मेदार हैं और इन चीजों में सुधार कर आप लंबी और हेल्दी जीवन जी सकते हैं.
प्रकृति के साथ चलें
1950 के दशक में हमारे देश में लोगों की औसत आयु 50 साल के लगभग थी लेकिन तब भी हमारे साधु-संत सौ-सौ साल तक जीते थे. आखिर वे क्यों ज्यादा दिनों तक जीते थे. इसका बहुत ही सिंपल जवाब है. हमारे ऋषि-मुनियों का जीवन बहुत ही सिंपल और अनुशासित था. वे शरीर के बायलॉजिकल क्लॉक को फॉलो करते थे. सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही भोजन कर लेते थे. सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करते थे. यानी वे रात को भोजन नहीं करते थे. हमारे ब्रेन में एक घड़ी फिट है जो दिमाग और शरीर के बीच की गति को एक लय में चलाती है. इसका मतलब यह हुआ कि यदि हम प्रकृति के साथ चलेंगे तो हमारा शरीर बीमारियों से दूर रहेगा.
खान-पान का सबसे महत्वपूर्ण रोल
डॉ. प्रसून चटर्जी कहते हैं कि लंबी उम्र के लिए सबसे जरूरी है आपका खान-पान. आपका खान-पान यह तय करेगा कि 80 साल की उम्र में आपकी हेल्थ कैसी होगी. दुनिया में 5 जगहों को ब्लू जोन माना गया है. यहां के लोगों की आयु लंबी तो होती ही है, हेल्दी भी होती है. जापान के ओकिनावा में स्कूली बच्चों के खान-पान पर अध्ययन किया गया. कई सालों तक किए गए अध्ययन में पाया गया कि यहां के बच्चे जापान के अन्य हिस्सों में रह रहे बच्चों की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत तक कम खाते हैं. यानी डाइट रिस्ट्रक्शन बहुत बड़ा फेक्टर है.हमारे ऋषि-मुनि सदियों से यह जानते थे. कम से कम 1900 ईस्वी के आसपास हमें यह मालूम था कि कैलोरी रिस्ट्रक्शन से आयु बढ़ती है. हेल्थ के मामले में वे हमसे ज्यादा आगे थे. वे हमेशा 6 बजे सुबह से लेकर 6 बजे शाम के बीच ही खाते थे. इसलिए आप जब भी खाना खाएं कोशिश करें कि हर बार आपका पेट कम से 20 प्रतिशत तक भूखा रहे.
हाइब्रिड कार की तरह अपने पेट को बनाइए
डॉ. प्रसून चटर्जी बताते हैं कि हमें अपने पेट को हाइब्रिड कार की तरह बनाना चाहिए जिसमें थोड़ा-बहुत हर किसी का इस्तेमाल हो. मतलब हर तरह का हेल्दी और बैलेंस फूड खाएं. आप थोड़ा साबुत अनाज जैसे कि रोटी-चावल-दाल भी खाएं, बहुत सारी सब्जियां खाएं, ताजा फल खाएं, सीड्स खाएं. आजकल कार्बोहाइड्रैट को डाइट से हटाने का चलन बढ़ा है. इसी कीटो डाइट कहा जाता है. लेकिन इससे कोई खास फायदा नहीं है. कार्बोहाइड्रेट हमें हर दिन पूरी डाइट में 50 प्रतिशत चाहिए. ब्रिटेन में हुई स्टडी में भी यह पाया गया है कि जो लोग अपनी डाइट में 50 प्रतिशत तक कार्बोहाइड्रैट लेते हैं उनकी आयु लंबी होती है. हमारे ब्रेन को 50 प्रतिशत एनर्जी कार्बोहाइड्रैट से ही मिलती है. यह भी पाया गया है कि शाकाहारी होना लंबी उम्र का बड़ा फेक्टर है. शाकाहारी भोजन कैंसर, हार्ट डिजीज के जोखिम को 20 से 25 प्रतिशत तक कम कर देता है. वहीं साइट्रस फ्रूट्स जैसे कि संतरे, कीवी, अन्नास, ब्लूबेरी, स्ट्राबेरी, नींबू आदि भी लंबी आयु को बढ़ाती है.